कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. स्मित श्रीवास्तव के नेतृत्व में हुआ सफल उपचार
HNS24 NEWS December 20, 2020 0 COMMENTSरायपुर : डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय, रायपुर स्थित एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (एसीआई) के कार्डियोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने ब्लू टो सिंड्रोम से ग्रस्त एक 48 वर्षीय महिला की एओर्टोप्लास्टी करके महिला के पैर को कटने से बचा लिया। कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. स्मित श्रीवास्तव के नेतृत्व में हुये इस उपचार प्रक्रिया में महिला के शरीर की महाधमनी में रूकावट के कारण महाधमनी दो भागों में विभक्त हो गयी थी। इस समस्या को एब्डॉमिनल एओर्टा इंटरप्शन यानी उदर महाधमनी रूकावट कहते हैं। महाधमनी में ब्लाकेज के कारण रक्त का प्रवाह अंगूठे तक नहीं हो पा रहा था जिसके कारण मरीज के दाहिने अंगूठे का रंग नीला पड़ना शुरू हो गया था। इस समस्या को ब्लू टो सिंड्राम कहते हैं। डॉ. स्मित श्रीवास्तव एवं उनकी टीम ने एसीआई में पहली बार एब्डामिनल एओर्टोप्लास्टी कर महिला को नई जिंदगी दी। एसीआई में अब तक छाती की महाधमनी में स्टंट डालकर एओर्टोप्लास्टी की गई थी लेकिन एब्डामिनल महाधमनी के एओर्टोप्लास्टी का यह पहला केस था।
विदित हो कि हृदय से निकलने वाली मुख्य धमनी जिसे महाधमनी या एओर्टा कहते हैं पेट में जाकर दो भागों में बंट जाती है। महाधमनी के ये दोनों हिस्से ही दायें पैर एवं बायें पैर को खून की सप्लाई करते हैं।
कार्डियोलॉजिस्ट प्रो. डॉ. स्मित श्रीवास्तव के अनुसार महिला एक माह पहले जब अपनी समस्या को लेकर आयीं थीं तब उनके दायें पैर का अंगूठा सड़ रहा था। सीटी एंजियो में महाधमनी के 100 प्रतिशत ब्लॉकेज (एओर्टा ब्लॉक) होने की जानकारी मिली। महाधमनी ब्लॉक होकर ऊपर एवं नीचे दो हिस्सों में बंट गई थी। इसके कारण दोनों पैरों में ब्लड सर्कुलेशन बंद हो गया था। परिणामस्वरूप पहले दायें फिर बायें पैर के अंगूठा नीला पड़ना शुरू हो गया था। ओपन सर्जरी में रिस्क की संभावना थी। गैंगरीन होने के कारण पैर के कटने की संभावना भी हो सकती थी। यही वजह है कि हमने एओर्टोप्लास्टी की योजना बनाई गई।
ऐसे हुआ प्रोसीजर
दाहिने पैर के रास्ते से कैथेटर डाला फिर इस कैथेटर के माध्यम से देखा कि ब्लाकेज कहां है। बायें हाथ से एक और कैथेटर डाला और चिन्हाकित किया कि ब्लाकेज कहां है। फिर दाहिने पैर के रास्ते से एओर्टा तक पहुंच कर एओर्टोप्लास्टी किया। इसमें प्लेटिनम का विशेष स्टंट लगाया ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की समस्या न हो। इंटरवेंषन कार्डियक प्रोसीजर के पहले शरीर के हाथों में एवं पैरों में ब्लड प्रेशर का अंतर 80 mmHg था। प्रोसीजर के बाद ब्लड प्रेशर एक समान हो गया।
और विश्वास बढ़ता ही गया
महिला के पति जनार्दन तिवारी के मुताबिक चार महीनों से पत्नी के इलाज के लिये कई जगह भटका। अंततः किसी स्वजन की सलाह पर मेडिकल कॉलेज रायपुर के एसीआई का रूख किया। यहां मेरी पत्नी का उपचार शुरू हुआ। एक-दो बार मन में थोड़ा डर भी लगा कि आगे क्या होगा लेकिन कार्डियोलॉजी के डॉक्टरों से फोन पर बात-चीत करके आत्मविश्वास जगा और एओर्टोप्लास्टी के बाद काफी सुकून महसूस कर रहा हूं। मेडिकल कॉलेज अस्पताल रायपुर को लेकर मेरा विश्वास दिन-प्रतिदिन बढ़ता गया।
एओर्टोप्लास्टी करने वाली टीम
विभागाध्यक्ष कार्डियोलॉजी एसीआई डॉ. स्मित श्रीवास्तव के साथ डॉ. जोगेष दासवानी, डॉ. मंजूनाथ, डॉ. सुलभ, डॉ. किशोर और नर्सिंग स्टॉफ शीना।