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रायपुर 03/10/2020 छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव एवं प्रवक्ता विकास तिवारी ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह द्वारा छत्तीसगढ़ के राज्यपाल सूची अनुसुइया उइके को लिखे गए नक्सली समस्या पर पत्राचार को राजनीतिक नौटंकी करार दिया और कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह को पत्र लिखने के जगह पश्चाताप करना चाहिये और प्रदेश की जनता से नक्सलवाद को फैलाने के लिए माफी भी मांगनी चाहिये रमन राज के 15 सालों में नक्सलवाद जो कि बस्तर के कुछ ही जगह में था बढ़कर समूचे छत्तीसगढ़ में फैल गया,डॉ रमन  सिंह के गृह जिले राजनांदगांव में भी नक्सलियो ने अपना मजबूत पकड़ बना लिया था और पूरे विश्व में छत्तीसगढ़ की छवि नक्सलियों के गढ़ के रूप में की जाने लगी थी पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह नक्सलियों को माटी पुत्र,धरतीपुत्र कहकर संबोधित करते थे जबकि नक्सली सीआरपीएफ सेना पुलिस के जवान आदिवासियों और अन्य लोगों की निर्मलता से हत्या किया करते थे वर्तमान समय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सुशासन के चलते छत्तीसगढ़ राज्य में नक्सली हमलों में 48% की कमी आई इसका कारण यह था कि बस्तर में किसानों को की भाजपा सरकार द्वारा बलात अधिग्रहित की गई अट्ठारह सौ एकड़ जमीन को उन्हें वापस कर दिया गया जिसमें वह फसल जाकर 2500 रु धान समर्थन मूल्य प्राप्त कर रहे हैं बस्तर और बस्तरवासियों का विकास देखकर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह बेचैन हो उठे हैं और अपने 15 सालों के असफलताओं को छुपाने और पर्दा डालने के लिए राज्यपाल को पत्राचार कर रहे हैं जबकि उन्हें नक्सलवाद को फैलाने के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की आवश्यकता है कांग्रेस प्रवक्ता विकास तिवारी ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को उनके समय उनके शासनकाल में हुए नक्सली हमलों को याद दिलाते हुए सिलसिलेवार आंकड़े जारी करते हुए बताया कि-

28 अप्रैल 2019

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में नक्सलियों ने पुलिस जवानों पर हमला किया। हमले में दो पुलिस जवान शहीद हो गए तथा एक ग्रामीण गंभीर रूप से घायल हो गया है।

19 मार्च 2019

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सली हमले में उन्नाव के रहने वाले सीआरपीएफ जवान शशिकांत तिवारी शहीद हो गए। घात लगाकर हुए इस हमले में पांच अन्य लोग घायल भी हो गए।

24 अप्रैल 2017

छत्तीसगढ़ के सुकमा में लंच करने को बैठे जवानों पर घातक हमला हुआ जिसमें 25 से ज्यादा जवान शहीद हो गए।

1 मार्च 2017

सुकमा जिले में अवरुद्ध सड़कों को खाली करने के काम में जुटे सीआरपीएफ के जवानों पर घात लगाकर हमला कर दिया। इस हमले में 11 जवान शहीद हो गए और 3 से ज्यादा घायल हो गए।

11 मार्च 2014

झीरम घाटी के पास ही एक इलाके में नक्सलियों ने एक और हमला किया। इसमें 15 जवान शहीद हुए थे और एक ग्रामीण की भी इसमें मौत हो गई थी।

12 अप्रैल 2014

बीजापुर और दरभा घाटी में आईईडी ब्लास्ट में पांच जवानों समेत 14 लोगों की मौत हो गई थी। मरने वालों में सात मतदान कर्मी भी थे। हमले में सीआरपीएफ के पांच जवानों समेत एंबुलेंस चालक और कंपाउंडर की भी मौत हो गई थी।

दिसंबर 2014

सुकमा जिले के चिंतागुफा इलाके में एंटी-नक्सल ऑपरेशन चला रहे सीआरपीएफ के जवानों पर नक्सलियों ने हमला कर दिया दिया था। नक्सलियों के इस हमले में 14 शहीद हो गए थे जबकि 12 लोग घायल हो गए थे।

25 मई 2013

झीरम घाटी हमला : नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हमला कर दिया था जिसमें कांग्रेस के 30 नेता व कार्यकर्ताओ की शहादत हुई थी।नक्सलियों ने सबसे पहले सड़क पर ब्लास्ट किया और फिर काफिले पर अंधाधुंध फायरिंग कर दर्जनों लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। हमले में पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल,तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल,महेन्द्रकर्मा,उदय मुदलियार,दिनेश पटेल,योगेंद्र शर्मा समेत 30 से ज्यादा कांग्रेसी शहीद हुवे थे।

6 अप्रैल 2010

दंतेवाड़ा हमला : दंतेवाड़ा जिले के ताड़मेटला में यह हमला सुरक्षाकर्मियों पर हुआ यह हमला देश का सबसे बड़ा नक्सली हमला है। इसमें सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हो गए थे। सीआरपीएफ के करीब 120 जवान तलाशी अभियान चला रहे थे तभी उन पर घात लगाकर करीब 1000 नक्सलियों हमला कर दिया था। इस हमले में 76 जवान शहीद हो गए थे।

12 जुलाई 2009

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में घात लगाकर किए गये नक्सली हमले में पुलिस अधीक्षक वीके चौबे सहित 29 जवान शहीद हुवे थे

कांग्रेस प्रवक्ता विकास तिवारी ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के नक्सल विरोधी पत्राचार और प्रलाप को राजनीतिक नौटंकी बताते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार के कम समय के शासनकाल में ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सुशासन के चलते बस्तर अब मुख्यधारा से जुड़ कर विकास की ओर अग्रसर हो रहा है बस्तर वासियों पर अपनी पकड़ ढीली देख नक्सली भी आप बौखला उठे है।बस्तरवासी गोधन या योजना के तहत गोबर की बिक्री कर रहे हैं नरवा गरवा घुरवा बाड़ी योजना के तहत अपनी आय में वृद्धि कर रहे हैं और 2500 रु धान समर्थन मूल्य पाकर वह पिछले 15 साल के पूर्ववर्ती रमन राज के दंश को भूलने का भी प्रयास कर रहे हैं यह सभी बात पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह और भारतीय जनता पार्टी को नागवार गुजर रही है बस्तर में सम्पन्न दो विधानसभा के उपचुनाव,नगर निगम,नगर पालिका,पंचायत के चुनावों में भी करारी पराजय के बाद पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह अपने आप को आदिवासी हितैषी साबित करने में तुले हुवे है,पर आदिवासियों के साथ उन्होंने अपने पंद्रह वर्ष के शासन काल मे घोर अन्याय और अत्याचार किया है।जिसके लिये उन्हें प्रायश्चित करने की आवश्यकता है।

HNS24 NEWS

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