November 22, 2024
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रायपुर : परिवार नियोजन इंडैमिनिटी योजना (एफपीआईएस) के तहत नसबंदी के कारण उत्पन्न हुई जटिलताओं, असफलता और मृत्यु के प्रकरणों में प्रदान की जाने वाली धनराशि को दोगुना कर दिया गया है। फरवरी 2020 के बाद से नसबंदी के असफल मामलों को इसमें शामिल किया जाएगा।
एफपीआईएस के तहत स्वास्थ्य विभाग की ओर से मितानिन व एएनएम झुग्गी-झोंपड़ी आदि क्षेत्रों में जाकर पुरुषों और महिलाओं को परिवार नियोजन के लिए नसबंदी कराने को प्रेरित करती हैं। नसबंदी करवाने वाले पुरुषों को 2,000 रुपये क्षतिपूर्ति राशि और महिलाओं को 1400 रुपये प्रोत्साहन राशि के तौर पर दिए जाते हैं। वहीं, नसबंदी असफल होने पर दंपति को योजना के तहत 30,000 रुपये का मुआवजा दिया जाता था।
उप संचालक परिवार नियोजन डा.अखिलेश त्रिपाठी ने संचालक स्वास्थ्य सेवाऐं छत्तीसगढ के पत्र का हवाला देते हुए बताया सरकार ने अब इस राशि को बढ़ाकर 60,000 रुपये कर दिया है। इसमें 50 प्रतिशत अंश केंद्र सरकार का और 50 प्रतिशत अंश राज्य सरकार का रहेगा। उन्होंने बताया स्वास्थ्य इकाइयों में दीवार पर पेंटिंग करवा कर योजना के बारे में लाभार्थियों की जागरूक किया जा रहा है।
डा. त्रिपाठी ने बताया नसबंदी के बाद अस्पताल या घर में सात दिन के अंदर लाभार्थी की मौत होने पर आश्रित को दो लाख रुपये दिये जाते थे। अब इसे बढ़ाकर चार लाख रुपये कर दिया गया है। इसमें 50 प्रतिशत अंश केंद्र सरकार का और 50 प्रतिशत अंश राज्य सरकार का रहेगा।आठ से 30 दिन के भीतर मृत्यु होने पर 50,000 के स्थान पर एक लाख रुपये क्षतिपूर्ति राशि प्रदान की जाएगी। इसमें 50 प्रतिशत अंश केंद्र सरकार का और 50 प्रतिशत अंश राज्य सरकार का रहेगा।
उन्होंने कहा नसबंदी ऑपरेशन के बाद अस्पताल में छुट्टी के उपरांत 60 दिनों तक कॉम्प्लिकेशन होने पर वास्तविक खर्च, 25,000(से अधिक नहीं) को बढ़ाकर 50,000 रुपए(से अधिक नहीं) किया गया है
वहीं प्रति चिकित्सक / अस्पताल के लिए अधिकतम 4 प्रकरणों के लिए पूर्व में दो लाख (तक प्रति प्रकरण) था जो अब बढ़ाकर चार लाख (प्रति प्रकरण) कर दिया गया है। इसमें 50 प्रतिशत अंश केंद्र सरकार का और 50 प्रतिशत अंश राज्य सरकार का रहेगा।

HNS24 NEWS

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