November 22, 2024
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भरत दुर्गम : बीजापुर : बीजापुर जिले के अंतिम छोर और तेलंगाना की सीमा पर स्थित पामेड गांव सड़क सुविधाओं से वंचित होने के कारण कभी टापू में तब्दील हो जाया करता था, जहां पदस्थ जवानों को सड़क मार्ग के बजाए हवाई मार्ग के जरिए ही पहुंचाया जाता था, परंतु इस विकराल समस्या से निजात दिलाने के लिए शासन प्रशासन ने गांव को तेलंगाना से जोड़ते हुए बीजापुर जिले से जोड़ने के लिए पक्की सड़क निर्माण की ओर ठोस कदम उठाया था

 

और यह कदम कारगर भी साबित हुआ, जिसके लिए तत्कालीन कलेक्टर डॉ. अय्याज तम्बोली और एसपी केएल ध्रुव की मेहनत के बाद तकरीबन 12 करोड की लागत से पामेड़ से टिप्पापुराम तक 9 किलोमीटर के इस सड़क का निर्माण कार्य शुरू किया गया और इस सड़क के निर्माण की जिम्मेदारी बीजापुर के कांग्रेस के दिग्गज नेता की कंपनी को सौंपी गई थी। सड़क निर्माण का कार्य बेहद तेजी से किया गया परंतु इस समय सड़क की स्थिति को देखने पर पता चलता है कि जितनी तेजी से सड़क निर्माण का कार्य किया गया इतनी तेजी से इस सड़क के निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार को भी अंजाम दिया गया क्योंकि पहली बारिश में सड़क कई जगह टूट चुकी थी और गांव के ही करीब पूरी सड़क पुल के साथ बह गई थी जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सड़क की गुणवत्ता पर कितना ध्यान दिया गया इस मामले को खबरों के माध्यम से शासन प्रशासन के सामने लाया था जिसके बाद ठेकेदार को प्रशासन ने फटकार भी लगाई थी परंतु उसका भी ठेकेदार कोई असर नजर नहीं आया बताया जा रहा है कि वर्तमान में 12 करोड़ की लागत से बनाई गई यह ब्लैक टॉप सड़क तकरीबन 40 फ़ीसदी उखड़ कर बर्बाद हो चुकी है सड़क पर बिछाई गई डामर की परत पूरी तरह उखड़ चुकी है तब कहीं जाकर होस में आये ठेकेदार द्वारा इस सड़क का मरम्मत कार्य शुरू किया गया है। छत्तीसगढ़ के अंतिम छोर में बसे पामेड़ गांव को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए शासन द्वारा इसे तेलंगाना से जोड़कर बीजापुर से जोड़ने का निर्णय लिया गया था जिसके लिए सबसे पहले पामेड़ को सड़क के माध्यम से तेलंगाना के चेरला शहर और चेरला से होते हुए तारलागुड़ा और फिरराष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 63 से जोड़कर बीजापुर से जोड़ने का फैसला लिया गया जिसके लिए सबसे पहले टिप्पापुरम से पामेड को जोड़ने के लिए 12 करोड़ की लागत से 9 किलोमीटर लंबी पक्की सड़क स्वीकृत की गई और इस सड़क निर्माण की जिम्मेदारी बीजापुर के कांग्रेसी नेता की कंस्ट्रक्शन कंपनी को सौंपी गई थी जिसके लिए पर्याप्त सुरक्षा भी दिया गया था जगह-जगह कैंप लगाकर सड़क निर्माण के लिए रोजाना जवानों की आरओपी टीम भी निकाली जाती थी,यही नही बल्कि इस सड़क निर्माण के दौरान हुए नक्सली हमलो में कुछ जवान शहीद हुए तो कुछ घायल भी हुए थे बावजूद इस सड़क निर्माण में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया परिणाम स्वरूप आज सड़क पर बिछाया गया डामर 40 फ़ीसदी से भी ज्यादा उखाड़ चुका है यही नहीं बल्कि बारिश के दौरान यह सड़क कहीं पुल समेत बह गई थी तो कहीं टूट गई थी । जिसके बाद जिला प्रशासन ने ठेकेदार को फटकार लगाते हुए कार्य पूर्ण होने तक भुगतान रोक दिया था और अब बताया जा रहा है कि सड़क की जर्जरता को देखते हुए जब ठेकेदार को दोबारा फटकार लगाई गई तब जाकर ठेकेदार द्वारा 1 साल के अंदर ही जर्जर हो चुके सड़क का मरम्मत कार्य कराया जा रहा है बताया जाता है कि इस समय सड़क की हालत ऐसी है जिस पर चलना भी दूभर हो चुका है जबकि सड़क को बने हुए अभी तक 1 साल की उम्र भी नहीं हो पाई है।

HNS24 NEWS

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