रायपुर : दिनांक 23 अगस्त 2019,दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव के ठीक पहले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस और शहीद ए आजम भगत सिंह की मूर्तियों के साथ सावरकर की मूर्ति विश्वविद्यालय परिसर में लगाए जाने की कड़ी निंदा करते हुए छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री और कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी कहा है कि यह संघपरिवार की इतिहास बदलने की साजिश है। सावरकर को नेताजी सुभाष चंद्र बोस और शहीद ए आजम भगत सिंह के साथ एक ही स्तर पर एक साथ रखा ही नहीं जा सकता है। शहीद ए आजम भगतसिंह ने अंग्रेजों से न कभी माफी मांगी न कभी अंग्रेजों को पीठ दिखाई। शहीद ए आजम भगत सिंह और उनके साथियों की वामपंथी विचारधारा के बारे में सब जानते हैं। नेताजी सुभाष चंद्र बोस पहले कांग्रेस में रहकर और फिर आजाद हिंद फौज का गठन कर अंग्रेजों से लड़ते रहे। नेताजी के समर्थकों ने बाद में रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी का गठन किया जो पश्चिम बंगाल में आज भी वाम मोर्चा का हिस्सा है। इन दोनों ही नेताओं ने कभी सांप्रदायिक राजनीति का समर्थन नहीं किया। शहीद ए आजम भगत सिंह के साथ अशफाक उल्ला खान जैसे समर्थक रहे जिन्होंने हंसते-हंसते फांसी का फंदा चूम लिया। आजाद हिंद फौज में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बाद शाहनवाज हुसैन सबसे बड़े नेता थे। आजाद हिंद फौज में हिंदू मुसलमान सिख इसाई सब मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ लड़े थे। ऐसे महान नेताओं के साथ सावरकर की मूर्ति लगाना ठीक नहीं है। सावरकर ने तो अंडमान निकोबार के काला पानी से छूटने के लिए अंग्रेजों से एक बार नहीं अनेक बार माफी मांगी थी। सावरकर तो नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज के खिलाफ अंग्रेजी सेना में भर्ती कराने में संलिप्त थे। सावरकर पर तो महात्मा गांधी की हत्या का मुकदमा भी नाथूराम गोडसे के साथ चला था। शहीद ए आजम भगत सिंह और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ सावरकर की मूर्ति लगाना इन दोनों महान शहीदों का अपमान है।
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