November 22, 2024
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रायपुर : राज्य शासन द्वारा परिवहन विभाग में राज्य प्रशासनिक सेवा के 04 अधिकारियों को दिनांक 12/03/2024 से प्रतिनियुक्ति के माध्यम से वरिष्ठ क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी के पद पर लाया गया। इन सभी अधिकारियों को क्रमशः रायपुर, बिलासपुर, अंबिकापुर एवं जगदलपुर के परिवहन कार्यालयों में पदस्थ किया गया है। शासन द्वारा इन अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति तो कर दी गई परंतु वरिष्ठ क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी के कर्त्तव्य एवं इन्हें शासन द्वारा किन – किन कार्यों के लिए शक्तियां प्रदत्त है इसकी जानकारी न तो शासन को है और न ही विभाग को, जिसका प्रमाण वर्तमान में देखने को मिल रहा है। किसी भी कार्य को करने के लिए सर्वप्रथम शासन द्वारा नियमों में उल्लेख किया जाता है कि संबंधित कार्य के लिए कौन अधिकारी प्राधिकृत है। परिवहन विभाग में छत्तीसगढ़ मोटरयान नियम 1994, छत्तीसगढ़ मोटरयान कराधान अधिनियम एवं नियम 1991 तथा इनसे संबंधित अधिसूचनाओं के अनुसार ड्राइविंग लाइसेंस एवं वाहनों के पंजीयन हेतु क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी, अतिरिक्त क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी तथा सहायक क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी सिर्फ 03 अधिकारी ही प्राधिकृत हैं तथा यही 03 अधिकारी ही कराधान प्राधिकारी भी होते हैं। इसी प्रकार व्यावसायिक वाहनों को जारी किए जाने वाले परमिट के लिए क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार द्वारा शक्तियों का प्रत्यायोजन किया जाता है, जिसे वर्तमान में इन्हीं तीनों अधिकारियों को शक्तियां प्रदत्त की गई है एवं वरिष्ठ क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी को परमिट से संबंधित किसी भी कार्य के लिए कोई भी शक्तियां प्रदत नहीं की गई है। इस तरह से राज्य में वर्तमान स्थिति यह है कि नियमों को ताक में रखकर उक्त चारों जिलों के चारों अधिकारियों द्वारा अवैधानिक तरीके से ड्राइविंग लाइसेंस, वाहनों का पंजीयन प्रमाण पत्र, परमिट जारी किया जा रहा है तथा कराधान प्राधिकारी का कार्य किया जा रहा है।

इन सभी अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति में लाने के एक हफ्ते पहले ही विभागीय अधिकारियों की क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी के कुल 06 पदों पर पदोन्नति किया गया तथा इनकी पदस्थापना भी सोची समझी रणनीति के तहत किया गया। सभी विभागीय अधिकारियों को उक्त सभी क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय में पदस्थ तो किया गया किंतु उन्हें पूर्व से ही किसी छोटे जिले का अतिरिक्त प्रभार भी दे दिया गया था, जैसे क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी जगदलपुर को कोंडागांव जिले का अतिरिक्त प्रभार, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी अंबिकापुर को बलरामपुर जिले का अतिरिक्त प्रभार, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी बिलासपुर को मुंगेली जिले का अतिरिक्त प्रभार। प्रतिनियुक्ति होने के पश्चात इन सभी विभागीय अधिकारियों को उक्त सभी अतिरिक्त प्रभार वाले जिलों में भेज दिया गया तथा क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी रायपुर को किसी जिले का अतिरिक्त प्रभार नहीं दिया गया था तो इन्हें वर्तमान में मुख्यालय परिवहन आयुक्त कार्यालय में संलग्न कर दिया गया है। इस प्रकार राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति में लाने के पूर्व ही पूर्ण योजना शासन द्वारा तैयार कर ली गई थी। इसके अतिरिक्त उक्त चारों जिलों के परिवहन कार्यालय का आधिकारिक नाम भी क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय के नाम से स्वीकृत है अर्थात इन कार्यालयों में क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी ही कार्यालय प्रमुख के रूप में पदस्थ किए जाते रहे हैं तथा पूर्व में भी कभी वरिष्ठ क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी की जरूरत नहीं पड़ी, तो फिर शासन को इनकी ऐसी भी क्या जरूरत पड़ गई कि विभागीय अधिकारियों की क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी के पद पर पदोन्नति करने के पश्चात एक हफ्ते बाद ही राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति कर दी गई यह एक विचारणीय बिंदु है। उक्त सभी तथ्यों की वस्तुस्थिति से विभागीय अधिकारियों द्वारा विभाग को अवगत कराते हुए ज्ञापन भी सौंपा गया है किंतु विभाग द्वारा अभी तक कोई सकारात्मक कार्यवाही नहीं की गई है।
इस प्रकार विभाग से संबंधित सभी कार्यों को करने के लिए प्राधिकृत अधिकारियों के होते हुए भी शासन द्वारा विभागीय अधिकारियों को अलग-थलग कर नियम विरुद्ध अवैधानिक रूप से प्रतिनियुक्ति से लाए अधिकारियों द्वारा कार्य करवाया जा रहा है जो कि पूर्णतः गलत है तथा इन अप्राधिकृत अधिकारियों द्वारा जारी किए जा रहे ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन पंजीयन प्रमाण पत्र एवं परमिट सभी दस्तावेजों की विधिमान्यता क्या होगी, इतने महीनों से जारी किए जा रहे यह सभी अविधिमान्य दस्तावेजों का जिम्मेदार कौन है। शासन द्वारा की गई यह प्रतिनियुक्ति जनहित में नहीं है क्योंकि यह सभी अविधिमान्य दस्तावेजों के आधार पर ना तो किसी व्यक्ति को बीमा क्लेम मिलेगा और अवैधानिक ड्राइविंग लाइसेंस एवं वाहन पंजीयन प्रमाण पत्र से किसी युवा की नौकरी जा सकती है एवं बहुत से लोगों का व्यवसाय भी प्रभावित होगा तथा बहुत से लोग भविष्य में इन सब के कारण अनावश्यक कोर्ट के चक्कर लगाते रहेंगे। शासन को शीघ्रातिशीघ्र जनहित के दृष्टिकोण से यह प्रतिनियुक्ति समाप्त कर देनी चाहिए।

HNS24 NEWS

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