कांग्रेस ने 70 वर्षों में आदिवासी जननायकों का नहीं किए स्मरण, पीएम मोदी ने दिलाई अलग पहचान : केदार कश्यप, मंत्री
HNS24 NEWS March 17, 2024 0 COMMENTSरायपुर। जनजाति समाज के प्रेरक जननायक हमारी पहचान है और देश का सम्मान है। आदिवासी समाज के सभी छात्रों को अपने जननायकों के योगदान व बलिदान का स्मरण रखना चाहिए। साथ ही उससे प्रेरणा लेनी चाहिए। रानी दुर्गावती, गुंडाधुर बिरसा मुंडा, शहीद वीरनारायण सिंह जैसे अनेक नायकों ने अपने बलिदान से भारत भूमि का मान बढ़ाया है।
वर्तमान को बेहतर बनाने के लिए हमें अपने अतीत को जानना अनिवार्य है। इतिहास की बुनियाद पर ही वर्तमान खड़ा होता है। यह बुनियाद हमारे सामाजिक योगदान, धार्मिक मान्यता, परम्परा और हमारी संस्कृति के रूप में होती है।
यह बातें वनमंत्री केदार कश्यप ने रायपुर के रोहिणीपुरम स्थित वनवासी कल्याण आश्रम में कहीं। वनवासी कल्याण आश्रम में जनजाति नायकों पर आधारित सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता का पुरस्कार वितरण समारोह रविवार को किया गया। इसमें वनमंत्री कश्यप शामिल हुए।
इस मौके पर मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि जनजाति नायकों पर आधारित सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता का पुरस्कार वितरण समारोह में सभी प्रतिभागियों का, और आयोजकों का अभिनंदन करता हूं। आदिवासी जननायकों पर केंद्रित सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता, सांस्कृतिक कार्यक्रम, पोस्टर प्रदर्शनी मंचीय कार्यक्रम इत्यादि में शामिल सभी प्रतिभागी बधाई के पात्र हैं, ऐसा इसलिए की आप अपने अतीत के प्रति रुचि रखते हैं।
मंत्री कश्यप ने छात्रों से पूछा कि सात फीट गहराई में जाने वाली नींव क्या प्राप्त करती है? उन्होंने बताया कि स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि अतीत के गर्भ से ही वर्तमान का जन्म होता है। वर्तमान को बेहतर बनाने के लिए हमें अपने अतीत को जानना समझना आवश्यक है। इतिहास की बुनियाद पर वर्तमान खड़ा होता है, यह बुनियाद हमारे सामाजिक योगदान, धार्मिक मान्यता, परम्परा और हमारी संस्कृति के रूप में होती है।
आदिवासी जनजाति, गौरव जननायक हमारी पहचान है और देश का सम्मान है। इसलिए मैं समझता हूं कि जनजाति समाज के सभी छात्र-छात्राओं को और माता-बहनों को अपने जननायकों के योगदान, बलिदान का न केवल स्मरण रखना चाहिए, बल्कि उससे प्रेरणा भी लेनी चाहिए। रानी दुर्गावती, गुंडाधुर बिरसा मुंडा, शहीद वीरनारायण सिंह जैसे अनेक उदाहरण है, जिन्होंने अपने बलिदान से भारत भूमि का मान बढ़ाया है।
केदार कश्यप ने कहा कि जनजाति समाज के प्रेरक चरित्र के चित्रों को आज हम पूजा कर रहे हैं। लेकिन चित्र उन्हीं की पूजित होते हैं, जिनका चरित्र महान होता है। जनजाति समाज के प्रेरक जननायकों का चरित्र अनुकरणीय है, हमें इसका अनुसरण करना चाहिए।
वन मंत्री ने कहा कि वनवासी विकास समिति रायपुर अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम से संबंध है, उसके इस प्रेरक आयोजन की मैं प्रशंसा करता हूं, क्योंकि इस प्रकार की प्रतियोगिता से नई पीढ़ी जनजाति समाज के अतीत में दिए गए योगदान को अध्ययन के माध्यम से जान और समझ पाएगी। साथ ही अपने जनजाति समाज के प्रति आत्म गौरव का भाव भी जन्म लेगा।
मंत्री केदार कश्यप ने छात्रों को बताया कि अपने देश,परिवेश और समाज के विषय में जानकारी रखना बेहद जरूरी है। मैं समझता हूं प्रत्येक के लिए आवश्यक है इस दृष्टि से यह आयोजन निश्चित रूप से एक रचनात्मक प्रयास है। कोई भी प्रतियोगिता के आयोजन का उद्देश्य होता है कि प्रतिभागियों में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा हो, क्योंकि प्रतिस्पर्धा से ही प्रतिभा का जन्म होता है, उसे पहचान मिलती है। मैं इस प्रतियोगिता के पुरस्कार प्राप्त करने वाली प्रतिभाओं का सम्मान करता हूं, उन्हें बधाई देता हूं, शुभकामनाएं देता हूं। साथ ही सभी प्रतिभागियों की इस बात के लिए प्रशंसा करता हूं कि आपने अपनी जागरूकता का परिचय दिया है।
आयोजक समिति से विनम्र अनुरोध है कि इस प्रकार के आयोजनों की आप निरंतरता बनाए रखें। इसके माध्यम से जनजाति समाज की वर्तमान युवा पीढ़ी भविष्य में अपनी सामाजिक विरासत को भावी पीढ़ी को ससम्मान सौंप पाने में सफल होगी।
*पीएम मोदी ने आदिवासी जननायकों को दिलाई पहचान*
वनमंत्री केदार कश्यप ने कहा कि हमारे जनजाति समाज के जननायक भी स्वतंत्र भारतवर्ष की वह नींव हैं, जिनके आधार पर आज भारत मजबूती के साथ खड़ा है। आजादी के अमृत महोत्सव के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी ने उन जननायकों को पहचान दिलाने का प्रयत्न किया है, जिन्हें हम 70 वर्षों में एक बार भी स्मरण नही किए थे।
*आने वाली पीढ़ी में जगेगा देशभक्ति का भाव*
वनवासी कल्याण आश्रम जनजातीय जननायकों पर आधारित सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता के माध्यम से आने वाली पीढ़ी में देशभक्ति का भाव भरने का कार्य कर रही है। जनजाति समाज के जननायकों ने जिस भारत की नींव रखी हैं, उस राष्ट्र मंदिर का निर्माण करने में हम भी हमारे नायकों से प्रेरणा लें, यही इस कार्यक्रम का उद्देश्य है।
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