महादेव घाट छठ महापर्व नहाय खाय के साथ प्रारंभ,लोहंडा एवं खरना होगा
HNS24 NEWS November 17, 2023 0 COMMENTSरायपुर, नवम्बर 17, 2023:चार दिवसीय छठ पूजा आज नहाय खाय विधि के साथ आज कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि, नवम्बर 17, शुक्रवार से प्रारम्भ हो गया है। छठ व्रती नहाए-खाय के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान किया और साफ-सुथरे कपड़े पहनकर शाकाहारी भोजन किया । लोहंडा एवं खरना कल शनिवार संध्या नवम्बर 18 को होगा। कल लोहंडा एवं खरना विधान के बाद छठ व्रती का 36 घंटे के निर्जला उपवास प्रारम्भ हो जायेगा। संध्या अर्घ्य रविवार 19 नवम्बर को होगा और उषा अर्घ्य सोमवार 20 नवम्बर को होगा।
महादेव घाट छठ महापर्व आयोजन समिति रायपुर के प्रमुख श्री राजेश कुमार सिंह ने बताया कि चार दिवसीय छठ महापर्व आज शुक्रवार को नहाय-खाय से प्रारंभ हुआ। इस वर्ष नवम्बर 17से 20 तक पूरे भारत सहित विश्व में छठ महापर्व हर्षोल्लास एवं परम्परा के साथ मनाया जा रहा है।
छठ महापर्व आयोजन समिति महादेव घाट रायपुर के सदस्यों एवं रायपुर नगर निगम के सफाई कर्मचारियों ने आयोजन प्रमुख श्री राजेश कुमार सिंह के नेतृत्व में दिनांक शुक्रवार सुबह को खारुन नदी एवं महादेव घाट की सफाई की। समिति के सदस्य आज सुबह ६ बजे महादेव घाट पहुंचे और अपना श्रम दान कर खारुन नदी के किनारे घाट की सफाई की। बड़ी मात्रा कचड़े खारुन नदी से कचड़े निकाले और घाट की सफाई की।
समिति के सदस्य सुनील सिंह, कन्हैया सिंह, सत्येंद्र सिंह गौतम, परमानन्द सिंह, रामविलास सिंह, जयंत सिंह, बृजेश सिंह, अमरजीत सिंह, संतोष सिंह, अनिल सिंह, जयप्रकाश सिंह, मुकुल श्रीवास्तव, चंद्रशेखर सिंह, सरोज सिंह, अजय शर्मा, संजय सिंह, वेद नारायण, मदन विश्वकर्मा, संजय तिवारी, संजीव सिंह, राकेश सिंह, एवं अन्य सदस्यों ने अपना श्रम दान दिया और घाट की सफाई की।
राजेश कुमार सिंह ने आगे बताया कि उन्होंने बताया है कि चार दिवसीय छठ महापर्व नवम्बर 17 को नहाय खाय के साथ प्रारम्भ हो गया । एक सांस्कृतिक कार्यक्रम 19 नवम्बर को संध्या में महादेव घाट पर आयोजित किया जायेगा ।
समिति के द्वारा महादेव घाट पर संध्या महाआरती नवम्बर 19 को आयोजित की जाएगी । 19 नवम्बर को रात्रि में भंडारे का आयोजन किया जायेगा। उषा अर्घ्य के बाद, समिति के द्वारा महा भंडारे का आयोजन महादेव घाट पार्ट 20 नवम्बर को सुबह में किया जायेगा ।
छठ पर्व ही दुनिया का मात्र एक पर्व है जिसमें डूबते सूर्य एवं उगते सूर्य की पूजा की जाती है। छठ पर्व को षष्ठी पूजा एवं सूर्य षष्ठी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है। सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से पूर्वी भारत के बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। छठ पूजा सूर्य और उनकी बहन छठी मैया को समर्पित है। त्यौहार और व्रत के अनुष्ठान कठोर हैं और चार दिनों की अवधि में मनाए जाते हैं। छठ पर्व सूर्यदेव की उपासना और छठी मैया का पूजा करने का महापर्व है। इस पर्व पर उगते और डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। छठ पूजा पर छठी मैया की पूजा और लोकगीत गाया जाता है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार छठ देवी भगवान ब्रह्माजी की मानस पुत्री और सूर्यदेव की बहन हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ब्रह्माजी ने सृष्टि रचने के लिए स्वयं को दो भागों में बांट दिया, जिसमें दाहिने भाग में पुरुष और बाएं भाग में प्रकृति का रूप सामने आया। सृष्टि की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी ने अपने आपको छह भागों में विभाजित किया । इनके छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी या देवसेना के रूप में जाना जाता है। प्रकृति का छठा अंश होने के कारण इनका एक नाम षष्ठी है, जिसे छठी मैया के नाम से जाना जाता है। शिशु के जन्म के छठे दिन भी इन्हीं की पूजा की जाती है। इनकी उपासना करने से बच्चे को स्वास्थ्य,सफलता और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है। बिहार एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग जिस देश एवं राज्यों में जाकर बसे वहां भी अपनी संस्कृति को आज भी बचाये हुऐ हैं। छठ महापर्व नेपाल, फिजी, मॉरिशस, सूरीनाम, गुयाना एवं अन्य देशों में भी मनाया जाता है।
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