November 22, 2024
  • 1:16 pm सभी जनप्रतिनिधियों और किसानों को सहकारिता से जोड़ा जाए – केदार कश्यप
  • 1:13 pm मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ सीमेंट ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा आयोजित दीपावली मिलन समारोह में हुए शामिल
  • 12:37 pm सुकमा जिले में आज सुबह सुरक्षाबलों ने एक बड़ी कार्रवाई में 10 नक्सलियों को मार गिराया
  • 6:28 am मुख्यमंत्री ने सपरिवार देखी ‘द साबरमती रिपोर्ट’ फिल्म
  • 7:40 pm सुरक्षा बल का हिस्सा बनकर होता है गर्व: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से बोली महिला कांस्टेबल

रायपुर, 03 नवम्बर 2022/ दीपावली के शुभ अवसर पर छत्तीसगढ़ में महिलाएं घर-घर जाकर सुआ नृत्य करती हैं उसी प्रकार उत्तर प्रदेश में थारू जनजाति भी झींझी देवी की आराधना में ऐसा नृत्य क्वांर और भादो के महीने में करती हैं। नई फसल आने के तुरंत बाद महिलाएं झींझी नृत्य करने घर घर जाती हैं। उनके सिर में कलश होता है और हाथों में दान लेने के लिए टोकरी। फिर सुआ गीत की तरह ही सुंदर गीत प्रस्तुत करती हैं और सुंदर झींझी नृत्य भी। बिल्कुल चटख रंगों के साथ और स्थानीय थारू आभूषणों के साथ उनकी साजसज्जा दर्शकों को चकित कर देती है। इसके बाद परंपरा अनुरूप झींझी का विसर्जन नदी में किया जाता है।

इस सुंदर नृत्य को देखकर बहुत से लोगों ने इसकी तुलना छत्तीसगढ़ के सुआ नृत्य से की और दोनों में जो अंतर हैं उनके बारे में चर्चा करने लगे। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के माध्यम से देश भर में चर्चित नृत्य के रूपों को दिखाने का शानदार मंच रायपुर में लोक कलाकारों को मिला है। इनमें से बहुत से नृत्य हमारी समृद्ध कृषक संस्कृति को दिखाते हैं। हमारी कृषक संस्कृति में श्रम के साथ दानशीलता की भी सुंदर परंपरा है। यह सुंदर परंपरा सुआ नृत्य में भी देखने को मिलती है और झींझी नृत्य में भी।

HNS24 NEWS

RELATED ARTICLES
LEAVE A COMMENT