November 22, 2024
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रायपुर : सहकारिता विभाग समीक्षा बैठक शुरू हुई ,दिल्ली में दो दिवसीय  सहकारिता विभाग की समीक्षा बैठक ले रहे हैं केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह। इस बैठक में सभी राज्यों के सहकारिता मंत्रीयों को बैठक में बुलाया गया है। और सहकारिता विभाग के काम काज को लेकर अमित शाह सभी से फीडबैक लेंगे।छत्तीसगढ़ के सहकारिता मंत्री डॉक्टर प्रेमसाय सिंह टेकाम बैठक में शामिल हुए हैं।देश के सभी राज्यों की सहकारिता मंत्रियों की कामकाज को लेकर समीक्षा बैठक चल रही है।

छत्तीसगढ़ के सहकारिता मंत्री डॉ  प्रेमसाय सिंह टेकाम छत्तीसगढ सहकारिता विभाग में क्या काम सरकार ने किए हैं और क्या होना है और क्या दिक्कत हो रही पर केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह के समक्ष अपनी पक्ष रख रहे हैं,जिनमे से मुख्य बातें यह है

सहकार से समृद्धि

ऋण माफी –

छत्तीसगढ़ शासन द्वारा महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए किसानों की कर्ज माफी का निर्णय लिया जाकर 13.47 लाख कृषकों के 5261.43 करोड़ के सहकारी ऋण माफ किए गए। ऋण माफी के कारण ऋण लेने वाले कृषकों की संख्या में अपेक्षित वृद्धि हुई ।

ब्याज अनुदान – प्रदेश के कृषकों को सहकारी समितियों / बैंकों के माध्यम से 5 लाख तक के ब्याज मुक्त अल्पकालीन ऋण दिए जा रहे हैं। सरकार द्वारा मछली पालन एवं लाख पालन को बढ़ावा दिए जाने हेतु ब्याजमुक्त ऋण दिए जाने का निर्णय लिया गया। इसके साथ ही उद्यानिकी फसलों, गौपालन के लिए भी रियायती दरों पर ऋण दिया जा रहा है।

सहकारी संस्थाओं का पुनर्गठन एवं संख्या वृद्धि कृषकों को कृषि साख की सुलभता तथा सहकारिता के विस्तार हेतु 1333 प्राथमिक साख सहकारी संस्थाओं का पुनर्गठन कर 725 नवीन समितियों का गठन किया गया। जिससे किसान की सहकारी संस्थाओं के बीच की दूरी में कमी आयी है और किसान सहकारी संस्थाओं की सेवा में सुलभता बढ़ी है।

नवीन संस्थाओं को गोदाम सह कार्यालय नवगठित समितियों को सुदृढ़ बनाए जाने हेतु 185 करोड़ की लागत से गोदाम सह आफिस के निर्माण की योजना बनाई गयी, जिसके लिए सरकार द्वारा समितियों को 75 प्रतिशत अनुदान दिए जाने का निर्णय लिया गया।

किसानों को सहकारिता से अधिक से अधिक सुविधाएं दिलाए जाने हेतु सहकारी बैंकों की शाखाओं, एटीएम का विस्तार किया गया।

गोधन न्याय योजना का क्रियान्वयन सहकारिता के माध्यम से किया गया छत्तीसगढ़ राज्य, देश में गोबर खरीदी करने वाला पहला राज्य है। गोधन न्याय योजना को जुलाई 2020 से प्रारंभ किया गया है। इस हेतु राज्य में 8408 गोठान निर्मित कर पशुपालकों से 2 रूपये प्रतिकिलो पर गोबर खरीदी की जा रही है। 15 अगस्त 2022 तक 79 लाख क्विंटल गोबर जिसका मूल्य 158 करोड़ है, खरीद कर 2.52 लाख गोबर विक्रेताओं को राशि भुगतान की गई है गोठानों में ही वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाया जाकर किसानों को वितरण किया जा रहा है, जिससे जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ने तथा जैविक खेती को बढ़ावा मिलने के साथ ही रासायनिक खाद पर निर्भरता भी कम होगी। इस योजना में अभी तक 14.75 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट खाद का उत्पादन किया गया है, जिसकी राशि 147.50 करोड़ है। सहकारी समितियों एवं सहकारी बैंकों द्वारा इस योजना में महती भूमिका का निर्वहन किया जा रहा है। सहकारी समितियों के माध्यम से खाद का विक्रय किया जाकर जिला सहकारी बैंकों के माध्यम से स्व सहायता समूह, गोठान एवं गोबर विक्रेता को सीधे उनके बैंक खातों में ऑनलाईन भुगतान सुनिश्चित हो रहा है।

वर्ष 2020 में राजीव गांधी किसान न्याय योजना के माध्यम से किसानों को कृषि आदान सहायता उपलब्ध करायी जा रही है। योजना में खरीफ में बोई जाने वाली सभी फसलों के लिए 9,000 रू प्रति एकड़ के मान से राशि दी जा रही है। धान के स्थान पर अन्य फसल लेने हेतु रू. 10,000 प्रति एकड़ सहायता राशि दी जा रही है। धान के स्थान पर वृक्षारोपण करने पर तीन वर्ष तक प्रति एकड़ 10,000 सहायता दी जा रही है। इस योजनांतर्गत 24 लाख किसानों को 14.597 करोड़ का भुगतान सहकारी बैंकों के माध्यम से किया जा चुका है।

सहकारी शक्कर कारखानों में गन्ना आधारित ईथेनॉल संयंत्र की स्थापना- इथेनॉल की बढ़ती

आवश्यकता एवं छत्तीसगढ़ के गन्ना उत्पादकों की संपूर्ण उपज को सही मूल्य दिलाने के लिए छत्तीसगढ सरकार प्रतिबद्ध है। राज्य के भोरमदेव सहकारी शक्कर उत्पादक कारखाना मर्या० कवर्धा परिसर में सहकारिता के क्षेत्र में देश के अपने तरह के पहले पीपीपी मोड पर इथेनॉल प्लांट की स्थापना का निर्णय शासन द्वारा लिया गया है। पीपीपी मोड में सहकारिता को सम्मिलित किए जाने हेतु अधिनियम में संशोधन किया गया। अनुबंधकर्ता द्वारा 80 KLPD (किलोलीटर प्रतिदिन ) इथेनॉल प्लांट (मोलासिस / गन्ना रस / शक्कर सिरप आधारित) अनुमानित लागत राशि रू. 125 करोड़ की लागत से स्थापना की जा रही है। कामर्शियल उत्पादन का लक्ष्य जनवरी 2023 रखा गया है। इथेनॉल संयंत्र की स्थापना से क्षेत्र में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे। इस प्लांट के पूर्ण क्षमता के संचालन से सहकारी शक्कर कारखाने को लायसेंस फीस के रूप में प्रतिवर्ष रू. 9.22 करोड़ प्राप्त होगा। भविष्य में ईथेनॉल प्लांट की क्षमता वृद्धि होने से कारखानों को उसी अनुपात में लायसेंस फीस की प्राप्ति होगी।

गन्ना किसानों का आर्थिक सहायता – राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के गन्ना किसानों के लिए राजीव गांधी किसान न्याय योजनांतर्गत गन्ना पेराई सीजन 2019-20 में 93.75 रूपये प्रति क्विटल के मान से 34292 किसानों को राशि रू. 74.24 करोड़ का एफआरपी के अतिरिक्त भुगतान किया गया। इस प्रकार प्रदेश में गन्ना किसानों को गन्ना पेराई सीजन 2019-20 में 355.00 रु. प्रति क्विटल के मान से गन्ना मूल्य प्राप्त उत्पादन होता है। मक्के का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1962 रू. क्विंटल निर्धारित है, परन्तु वर्तमान में किसान मक्का 1100-1200 रू. क्विंटल की दर से बेच रहे है। सहकारिता के क्षेत्र में 140 करोड़ रूपए की लागत से 80 KLPD क्षमता का ईथेनॉल प्लांट लगाया जा रहा है। जिसमें शासन की 25 प्रतिशत राशि अंशपूंजी विनियोजित होगी। मक्का प्रसंस्करण ईकाई की स्थापना होकर लाभ मिलने पर किसानों बोनस की प्राप्ति होगी। 300 से अधिक लोगों को मक्का प्रसंस्करण प्लांट में रोजगार ।

कम्प्यूटरीकृत ऑनलाईन धान खरीदी एवं भुगतान छत्तीसगढ़ राज्य की मुख्य फसल धान है। राज्य में छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ एवं सह अभिकर्ता के रूप में प्राथमिक कृ षि साख सहकारी समितियों द्वारा धान का उपार्जन किया जाता है। 2020 सहकारी समितियों द्वारा 2,484 धान उपार्जन केन्द्रों में पूर्णतः कम्प्यूटरीकृत ऑनलाईन धान खरीदी की व्यवस्था की गई है। सहकारी बैंकों द्वारा पी. एफ. एम. एस. के माध्यम से 72 घंटों के अंदर भुगतान सुनिश्चित किया जा रहा है। धान खरीदी व्यवस्था से प्रति वर्ष दो लाख से अधिक श्रमिकों को रोजगार भी उपलब्ध होता है।

धान खरीदी व्यवस्था के परिणामस्वरूप किसानों द्वारा लिए गए ऋण की अदायगी भी समय पर सुनिश्चित हुई है, जिससे किसान डिफाल्टर होने से बचते हैं। धान खरीदी व्यवस्था से प्राथमिक सहकारी समितियों को कमिशन के रूप में लगभग 290 करोड़ तथा सहकारी बैंकों को पर्यवेक्षण शुल्क के रूप में 35 करोड़ प्राप्त हो रहा है।

सुझाव

सेंट्रल रजिस्ट्रार स्तर से मल्टीस्टेट को-ऑपरेटिव्ह सोसाइटियों का गठन किया जाता है। जो सभी राज्यों में कार्य करती हैं, विगत वर्षों में कई ऐसी समितियों द्वारा आमजन को ज्यादा ब्याज का लालच दिया जाकर राशि जमा करा लेने के पश्चात् वे अपना कारोबार बंद कर चले जाते हैं, जैस आदर्श क्रेडिट को-ऑपरेटिव्ह जिसने अपना कारोबार बंद कर करोड़ों की राशि का गबन किया है एवं सहारा क्रेडिट को-आपरेटिव्ह जैसी समितियों जो हितग्राहियों की राशि नहीं लौटा रही हैं। यह भी कि इस प्रकार की सोसाइटियां बैंकों की तरह ही संव्यवहार करती हैं। राज्यों को ऐसी सोसाइटियों के विरूद्ध कार्यवाही का अधिकार नहीं है । अतएव मल्टीस्टेट को-ऑपरेटिव्ह रजिस्ट्रार की शक्तियां राज्यों के अपर पंजीयकों को दी जावे, जिससे मल्टीस्टेट क्रेडिट को-ऑपरेटिव्ह सोसाइटियों द्वारा जनता की राशि गबन करने की दशा में कार्यवाही की जा सके। इसके लिए ठोस कदम उठाये जाने की आवश्यकता है।

HNS24 NEWS

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