हमने हमारे वरिष्ठ कांग्रेस नेताएं झीरम कांड में शहीद हुए हैं..और कुल 27 लोगों की मौत हुई
HNS24 NEWS May 11, 2022 0 COMMENTSचित्रा पटेल : रायपुर : छत्तीसगढ़ की सत्ता में झीरम घाटी मामला लगातार चर्चा का विषय रहा है। जांच आयोग ने जांच रिपोर्ट भी पेश कर दी । बावजूद इसके अभी तक इस मामले का पर्दाफाश नही हो पाया है। जांच रिपोर्ट में क्या है इसका खुलासा तो नही हुआ लेकिन मामले में अभी भी कोर्ट कचहरी जारी हैं… और सियासत भी जमके जारी है । कांग्रेस ने एक बार फिर घटना पर तत्कालीन सरकार पर सीधा आरोप लगाया है।
25 मई 2013 को कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के काफिले पर बस्तर की झीरम घाटी में नक्सलियों ने हमला कर दिया था। जिसमें वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं समेत कुल 27 लोगों की मौत हो गई थी।इस विभत्स हत्याकांड में कांग्रेस ने अपनी पहली पंक्ति के नेताओं विद्याचरण शुक्ल, नंद कुमार पटेल और महेंद्र कर्मा को खोया था। मामले में तत्कालीन सरकार ने जांच आयोग का गठन किया था। लंबे समय बाद जांच रिपोर्ट पेश।की गई। जस्टिस प्रशांत मिश्रा की इस रिपोर्ट को वर्तमान की भूपेश सरकार ने अधूरा करार दिया और इसी न्यायिक जांच आयोग में जांच के लिए 8 नए बिंदु जोड़े।
इन 8 बिंदुओं को वर्तमान भूपेश सरकार ने इसलिए जोड़ा , क्योकि तत्कालीन रमन सरकार की जांच आयोग के बिंदुओं पर जांच में दोषियों के नामो का सही से खुलासा होने की संभावना कम थी।अब इस मामले नए बिंदुओं और जांच आयोग पर पर नेता प्रतिपक्ष ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है।भाजपा की इस अपील के बाद छत्तीसगढ़ की सियासत में बवाल आ गया है।
जांच में जोड़े गए नए बिंदू
– नवंबर 2012 में स्व महेन्द्र कर्मा पर हुये हमले के पश्चात् क्या उनकी सुरक्षा की समीक्षा प्रोटेक्शन रिव्यू ग्रुप के द्वारा की गई थी ?
– स्व. महेन्द्र कर्मा को नवंबर 2012 में उन पर हुये हमले के पश्चात् उनके द्वारा मांगी गई अतिरिक्त सुरक्षा की मांग पर किस स्तर पर विचार निर्णय किया गया था और उस पर क्या कार्यवाही की गई थी?
– गरियाबंद जिले में जुलाई 2011 में स्व नद कुमार पटेल के काफिले पर हुये हमले के पश्चात् क्या स्व पटेल एवं उनके काफिले की सुरक्षा हेतु अतिरिक्त सुरक्षा उपलब्ध कराई गई थी और क्या उन अतिरिक्त सुरक्षा मानकों का पालन जीरम घाटी घटना के दौरान किया गया?
– क्या राज्य में नक्सलियों के द्वारा पूर्व में किये गये बड़े हमलों को ध्यान में रखते हुये नक्सली इलाकों में यात्रा आदि हेतु किसी निर्धारित संख्या में या उससे भी अधिक बल प्रदाय करने के कोई दिशा-निर्देश थे? यदि हां तो उनका पालन किया गया? यदि नही तो क्या पूर्व के बड़े हमलों की समीक्षा कर कोई कदम उठाये गये?
– नक्सल विरोधी आपरेशन में और विशेषकर टी.सी ओ.सी की अवधि के दौरान यूनिफाईड कमाण्ड किस तरह अपनी भूमिका निभाती थी? यूनिफाईड कमाड के अध्यक्ष के कर्तव्य क्या थे और यूनिफाईड कमाण्ड के तत्कालीन अध्यक्ष ने अपने उन कर्तव्यों का उपर्युक्त निर्वहन किया ?
– 25 मई 2013 को बस्तर जिले में कुल कितना पुलिस बल मौजूद था? परिवर्तन यात्रा कार्यक्रम की अवधि में बस्तर जिले से पुलिस बल दूसरे जिलों में भेजा गया? यदि हा तो किस कारण से और किसके आदेश से क्या इसके लिये सक्षम स्वीकृत प्राप्त की गई थी?
– क्या नक्सली किसी बड़े आदमी को बंधक बनाने के पश्चात् उन्हें रिहा करने के बदले अपनी मांग मनवाने का प्रयास करते रहे है? स्व नंद कुमार पटेल एवं उनके पुत्र के बंधक होने के समय ऐसा नहीं करने का कारण क्या था?
– सुकमा के तत्कालीन कलेक्टर श्री अलेक्स पाल मेनन के अपहरण एव रिहाई में किस तरह के समझौते नक्सलियों के साथ किये गये थे? क्या उनका कोई संबंध स्व महेन्द्र कर्मा की सुरक्षा से था?
छत्तीसगढ़ का झीरम घाटी कांड हमेशा से सियासत का विषय रहा है, जांच रिपोर्ट आने के बाद भी इस मामले में सियासत नही थमी है। मामले में विपक्ष ने एक बार कोर्ट का दरवाजा फिर खटखटाया है, जिस पर कांग्रेस और भाजपा एक दूसरे पर आरोप मढ़ती फिर से नजर आ रही है। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने उच्च न्यायालय बिलासपुर में इस केस को स्टे के लिए लगाया है जो कि आज माननीय न्यायालय ने स्टे लगा दी है।
इस मामले पर कृषि मंत्री रविंद्र चौबे का बयान कहा हमने अपने नेताओं को खोया है। इस झीरम घाटी कांड में वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं समेत कुल 27 लोगों की मौत हो गई थी।इस विभत्स हत्याकांड में कांग्रेस ने अपनी पहली पंक्ति के नेताओं विद्याचरण शुक्ल, नंद कुमार पटेल और महेंद्र कर्मा को खोया था।उन्होंने कहा झीरम घाटी के रिपोर्ट पेश हुई थी इसकी प्रक्रिया ही गलत थी.. भारतीय जनता पार्टी इसमें इन्वाल्व होकर अपनी बात कह रही है तो यह गंभीर प्रश्न है , रिपोर्ट के पीछे भारतीय जनता पार्टी इतना इंटरेस्ट क्यों ले रही है भारतीय जनता पार्टी को बताना पड़ेगा।
कांग्रेस जांच आयोग की रिपोर्ट और बिंदुओं पर भाजपा पर आरोप लगा रही है…तो भाजपा भी उल्टे कांग्रेस पर आरोप लगाती नजर आ रही है। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने झीरम घाटी की घटना को लेकर राज्य सरकार पर यह आरोप लगा रहे है कि पहले जांच आयोग का गठन किया जिसमें जस्टिस मिश्रा ने लगातार मेहनत 8 साल में कंप्लीट रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपा, राज्य सरकार ने उस रिपोर्ट को विधानसभा पटल में नहीं रखा, एक और आयोग गठन की स्वीकृति दी, आयोग ने अपना काम प्रारंभ कर दिया उसको अनुमति दी गई, हाईकोर्ट में इस सारी प्रक्रिया को स्टे किया है क्योंकि यह पूरी प्रक्रिया ना कानून संबंध है ना विधि संबंध है और न हीं कानून का पालन हुआ है.. झीरम कांड में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शहीद हुए ,इस कांड की सच्चाई सामने आए, जनता के बीच आना चाहिए।
झीरम घाटी मामला लगातार चर्चा में है।प्रदेश कांग्रेश संचार विभाग के प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने विपक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा …झीरम घाटी कांड की जांच हो भारतीय जनता पार्टी रोकना चाहतीजांच को लगातार जांच में अडंगा डालती रही है। हमारी सरकार बनी एसआईटी का गठन किया तो केंद्र सरकार के माध्यम से एनआईए की जांच कर रही थी एनआईए ने एसआईटी को फाइल वापस नहीं किया ,एसआईटी की जांच शुरू नहीं हो पाई, जस्टिस मिश्रा का ट्रांसफर होने के बाद आयोग ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की , राज्य सरकार ने उसको आगे बढ़ाया ताकि जांच हो सके, साफ हो रहा है कि भारतीय जनता पार्टी नहीं जाती है कि झीरम कांड की सच सामने आए , भाजपा किसे बचाना चाहती है, क्यों डर रही है भाजपा, ऐसा कारण है कि भारतीय जनता पार्टी झीरम कांड के हत्यारों को बचाना चाहते हैं ,तत्कालीन सरकार में ऐसे बैठे हुए कोन लोग थे जिनके हाथ खून से रंगे हुए हैं और उसे बचाने के लिए बार-बार रोक लगा रही है और अदालत की शरण में जा रही है
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