November 23, 2024
  • 11:18 pm कृषि अनुसांधान केन्द्र किसानों को वैज्ञानिक पद्धतियों से जोड़ते हुए उनकी आय बढ़ाने में मदद करेगा-उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा
  • 11:10 pm छत्तीसगढ़ में शुरू होगी ‘‘मुख्यमंत्री गुड गवर्नेंस फेलो योजना’’ *गुड गवर्नेंस रीजनल कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री श्री साय ने की घोषणा* *छत्तीसगढ़ के मूलनिवासी छात्रों के लिए पब्लिक पॉलिसी एण्ड गवर्नेस में मास्टर पाठ्यक्रम होगा शुरू
  • 5:07 pm मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय 23 नवम्बर को बिलासपुर में 143 करोड़ की लागत के विकास कार्यों का करेंगे लोकार्पण
  • 1:16 pm सभी जनप्रतिनिधियों और किसानों को सहकारिता से जोड़ा जाए – केदार कश्यप
  • 1:13 pm मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ सीमेंट ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा आयोजित दीपावली मिलन समारोह में हुए शामिल

रायपुर, 9 मार्च। भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने सदन में राज्यपाल के अभिभाषण पर बोलते हुए कहा कि प्रदेश में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। यहाँ परम्परा और मर्यादाए टूट रही हैं। प्रदेश आकंठ भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है। यहाँ माफिया राज चल रहा है कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ की जनता स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रही है।

अग्रवाल ने कहा कि माननीय सभापति महोदय ,आज इस सदन में हम बहुत भारी मन से , बहुत दुखी मन से खड़े हुए हैं और साल में एक बार माननीय राज्यपाल महोदया का अभिभाषण होता है इसलिए हम लोगों ने यह तय किया है कि हम माननीय राज्यपाल महोदया के अभिभाषण में भाग लेंगे। आज जब हम माननीय राज्यपाल महोदया के अभिभाषण में भाग ले रहे हैं तो इस सदन की सभी मर्यादाएं टूटी हैं, सभी वर्जनाएं टूटी हैं। इस सदन की सभी परम्पराएं टूटी हैं, सभी नियम, कानून कायदे टूटे हैं। यह दुर्भाग्य है कि छत्तीसगढ़ का सदन उच्च परंपराओं से चलता रहा है।हमें यह मालूम है कि अध्यक्ष जी को अधिकार है कि वह नियम को शिथिल करके दूसरा बिजनेस ले सकते है, परंतु सदन में आज अनुपूरक बजट होना था तो अनुपूरक बजट में विपक्ष भी भाग ले। दूसरे दिन माननीय राज्यपाल महोदया जी के अभिभाषण पर चर्चा हो जाए, इसके ऊपर में क्या बाध्यता थी कि यह नहीं हो सकती ? हमारे विद्वान मंत्री अकबर जी बैठे हैं और सर्वज्ञ ज्ञाता कवासी लखमा जी बैठे हैं। जरा मुझे बताइए न कि क्या राज्यपाल जी के अभिभाषण पर इस छत्तीसगढ की विधानसभा में आज तक दो दिन से कम कभी चर्चा नहीं हुई है। करोनाकाल समाप्त हो गया। विधानसभा की कार्यसूची विधानसभा प्रारंभ होने के पहले दिन जारी होती है। यह क्यों नहीं हो सकता था ? अगर मुख्यमंत्री जी को आज ही सप्लीमेंट्री बजट प्रस्तुत करना था तो राज्यपाल के अभिभाषण पर कल चर्चा हो जाती। हमारे संतराम नेताम जी विद्वान सदस्य हैं पुराने सदस्य हैं।

राज्यपाल से असत्य कथन करवा रही सरकार

सभापति , राज्यपाल, राज्यपाल होते है, राज्यपाल महिला नहीं होती, राज्यपाल पुरुष नहीं होता । राज्यपाल संवैधानिक प्रमुख होता है। यह सरकार मजबूर करती है। सामान्यतः हम लोग राज्यपाल जी के अभिभाषण में कभी व्यवधान नहीं करते हैं। दूसरे राज्यों में क्या हो रहा है जरा देख लीजिए, क्योंकि यह सरकार राज्यपाल जी से पूरी तरह असत्य कथन करा रही थी। एक भी बिंदु सच नहीं था। मेरे पास मुख्यमंत्री जी का आज का जवाब है। उन्होंने कहा है कि 36 में से 17 वादे पूरे किए हैं 19 वादे पूरे नहीं किए हैं। आज के प्रश्न में देख लीजिए। टोटल 254 वादे हैं। उन्हीं वादों के फेहरिस्त विधानसभा में राज्यपाल से गिनवाई जा रही थी।

पत्रकारों को जेल में डाला जा रहा,अघोषित आपातकाल लागू

सभापति जी , मेरी जानकारी गलत नहीं है तो वे चौथी बार विधायक हैं। उनके भी यह जानकारी है कि राज्यपाल अपना कुछ नहीं बोलती हैं, उनको जो सरकार लिखकर देती है, उसको वह पढ़ती है। हम भी चार बार मंत्री रहे हैं, परंतु उसमें कुछ तो सत्यता होनी चाहिए। क्या आप उनसे झूठ का पुलिंदा बुलवा दोगे। उनके भाषण में जितने प्वाईंट्स हैं। अब अध्यक्ष के पास दंड है कि नहीं यह तो पूछो। माननीय सभापति महोदय, छत्तीसगढ़ में पिछले तीन सालों में संविधान को कुचला जा रहा है। लोकतंत्र की हत्या हो रही है। हमारी जो प्रजातांत्रिक संसदीय लोकतंत्र है उसकी हत्या हो रही है। विधानसभा सत्र छोटे हो रहे है। चर्चाओं से भाग रहे हैं। इस सरकार ने अपने घोषणा पत्र में कहा था कि हम पत्रकारों का सुरक्षा कानून लायेंगे। जो पत्रकार भाटगिरी नहीं कर रहे हैं, उन पत्रकारों को जेलों में डाला जा रहा है। उनको हथकड़ी पहनाकर घुमाया जा रहा है। उनके घरों को तोड़ा जा रहा है। कहाँ के नियम कायदे कानून हैं?आप बोलोगे तो मैं पत्रकारों के नाम पढ़ दूंगा। वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ला, पत्रकार जीतेंद्र जायसवाल, पत्रकार नीलेश शर्मा इनकी थानों में पिटाई होती है। क्या यही पत्रकार सुरक्षा कानून है?यह तो हमने कभी नहीं देखा था, पत्रकार स्वतंत्र होता है, पत्रकारों के अधिकारों की रक्षा होती है, सुप्रीम कोर्ट-हाईकोर्ट ने इनमें निर्णय दिये हैं लेकिन छत्तीसगढ़ में अगर कोई सोशल मीडिया पर लिखेगा तो उसको जेलों में डाला जायेगा और एक दृष्टि से हम कहें तो छत्तीसगढ़ में प्रेस के ऊपर अघोषित आपातकाल लागू है। क्या सरकार के पास कोई जवाब है? जिस प्रदेश में वहाँ के पत्रकारों का सम्मान नहीं होगा, लिखने वालों का सम्मान नहीं होगा, जहां पर समाचार सेंसर किये जाएंगे।चूंकि हम लोग भी सरकार के विरुद्ध में समाचार भेजते हैं, जब रात को हम फोन करके पूछते हैं कि क्यों इसको जारी नहीं किया तो कहा जाता है कि सर, हमारे पास फोन आ गया था।

भ्रष्टाचार में डूबी सरकार

माननीय सभापति महोदय यह सरकार झूठ से बनी है, फरेब से चल रही है।यह अविश्वास की सरकार है। ढाई-ढाई साल के बारे में मुझे कुछ कहने की जरूरत नहीं है। इस मामले को लेकर पूरे देश में, पूरे छत्तीसगढ़ में जो अस्थिरता पैदा हुई है. अधिकारियों को लगता है कि पता नहीं कब मुख्यमंत्री बदल जायेगा, कब यहाँ का निजाम बदल जाएगा, हमारा क्या होगा, कहीं हमारे पैसे तो नहीं डूब जाएंगे, जितनी जल्दी हो उतनी जल्दी बटोर लो। माननीय सभापति महोदय, मुख्यमंत्रियों का मंत्रियों पर विश्वास नहीं है, मंत्रियों का अधिकारियों पर विश्वास नहीं है, विधायकों का मंत्री परऔर अधिकारियों पर विश्वास नहीं है। कुल मिलाकर यह सरकार चूं-चूं का मुरब्बा है। मैं इस सदन में साबित कर देता हूँ कि चूं-चूँ का मुरब्बा कैसे है। मानननीय सभापति महोदय, चूं -चूं का मुरब्बा कोई असंसदीय शब्द नहीं है। सत्तादल के एक विधायक प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री पर आरोप लगाते हैं कि वे मेरी हत्या करवा सकते हैं, यह क्या है, क्या हो रहा है?सत्ताधारी दल की एक विधायक अपने पति के खिलाफ पुलिस प्रशासन द्वारा किये गये अत्याचार को लेकर जिन्होंने अपनी सुरक्षा वापस कर दी। 150 किलोमीटर स्कूटी में चलकर यहाँ विधानसभा आती हैं, यह क्या है?
नक्सली एरिया के विधायक हैं.इस सदन में अगर विधायकों के सम्मान की, विधायकों के हितों की, अधिकारों की रक्षा नहीं की जाएगी तो कहाँ की जाएगी? सत्ताधारी दल के एकदर्जन विधायक जो अभी सदन में बैठे हुए हैं उनके द्वारा कहा जाता है कि खुलेआम एक मंत्री के घर जाकर हंगामा किया जाता है कि ट्रांसफर नहीं हो रहे है। वहाँ 10-12 विधायक जाते हैं और हंगामा करते हैं। वो बोलते हैं कि हमारे ट्रांसफर नहीं हो रहे है। पूरे ट्रांसफर लेन-देन के आधार पर हो रहे हैं। भ्रष्टाचार हो रहा है। खुलेआम अखबारों में बयानबाजी करते हैं और मुख्यमंत्री जी के हस्तक्षेप के बाद उनके निजी सचिव को हटाया जाता है। क्या ऐसे सरकार चलती है? ऐसे जनता में संदेश दोगे? क्या जनता ने आपको इसलिए बहुमत दिया है कि सरकार इसी में उलझी रहेगी।
माननीय सभापति जी, प्रदेश के एक मंत्री खुलेआम बयान देते हैं कि उनके जिले के कलेक्टर जनप्रतिनिधियों की बात नहीं सुनते । वह भ्रष्टाचार मचा रखा है और पूर्व के जिलों में भी उनके ऊपर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है। यह मैं नहीं कह रहा हूँ । यह इस सरकार के मंत्री कह रहे हैं। माननीय सभापति जी, हमें उस दिन बहुत कष्ट हुआ, जब इस छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी पंचायत के अध्यक्ष कहते हैं कि हमारे जिले में बाकी प्रदूषण तो है पर प्रशासनिक प्रदूषण भी है। अगर इस पंचायत के सबसे बड़े अध्यक्ष दुखी हों तो वह सरकार चूं-चूं का मुरब्बा है या नहीं है।

प्रदेश में सब कुछ तय है

अध्यक्ष  जी, इस प्रदेश में सब कुछ तय है। सब चीजों के रेट तय हैं। सब नियम-कायदे-कानून कानून से ऊपर बने हुए सब तय हैं। इस प्रदेश में सब कुछ तय है का नारा चल रहा है।रेट के प्रति ट्रक के पीछे सब कुछ तय है। कोयले के प्रति क्विंटल के प्रति सब कुछ तय है। शराब के प्रति बॉटल के पीछे सब कुछ तय है। सीमेंट के प्रति बोरी के पीछे सब कुछ तय है। शासकीय भर्ती में प्रति पद में भर्ती के पीछे सब कुछ तय है। अवैध प्लॉटिंग के पीछे सब कुछ तय है। सप्लाई में प्रति नग के पीछे सब कुछ तय है। ठेका टेंडर में कितना प्रतिशत होगा, यह भी तय है। जंगल कटाई कौन करेगा, यह भी तय है। लोहे का रेट कौन तय करेगा, यह भी तय है। हाँ यह भी तय है कि प्रति क्विंटल चावल की कस्टम मिलिंग के पीछे कितना पैसा मिलेगा यह भी तय है। इसमें यह भी तय है कि आप कितने हाथियों को मारकर उसके अंग निकालकर लाओगे तो इतना पैसा मिलेगा, इसका भी रेट तय है।एस.पी. की पोस्टिंग का भी रेट तय है, कलेक्टर की पोस्टिंग का भी रेट तय है, कस्टम मिलिंग के आर.ओ.के ठेके का रेट भी तय है।

अमरजीत भगत अगर मैं पढ़ने लगूंगा तो मालूम नही मुझे कितने दिन लगेंगे। माननीय अध्यक्ष  ने समय नहीं दिया। लोगों के जीवन का मोल, किसानों की फसल का मोल, लोगों के रोजगार का मोल, महिलाओं की सुरक्षा का मोल, मरीजों के स्वास्थ्य का मोल, ये तय नहीं है परंतु कहां कहां आना है उसके लिए सब कुछ तय है।  सभापति  , छत्तीसगढ़ मॉडल उत्तर प्रदेश में चल रहा है,कैसे चल रहा है। एक्जिट पोल सामने आ रहे हैं। अब गुजराती मॉडल नहीं चलेगा, अब छत्तीसगढ़ मॉडल चलेगा। पहले आसाम में चल गया, अब यू.पी.में चलेगा, वाह रे आइडियोलॉजी। दिल्ली की बात क्यों कर रहे हो यहाँ पर?

टमाटर कहाँ बिकता है पता नहीं

माननीय उपाध्यक्ष जी , कांग्रेस के सबसे बड़े नेता,इस प्रदेश के सबसे बड़े आइडियोलॉजी विशेषज्ञ उत्तर प्रदेश की एक सभा में बोलते हैं कि हर जिले में फूडपार्क की स्थापना हो गई है। छत्तीसगढ़ का किसान टमाटर फूड पार्क के अंदर जाता है और उचित पैसा मिलता है, टमाटर रखता है और पैसा लेकर तुरंत बाहर आ जाता है। उपाध्यक्ष जी मेरे कार्यकर्ता, छत्तीसगढ़ की जनता टॉर्च लेकर लालटेन लेकर, मोमबत्ती लेकर , चिमनी लेकर, दिया लेकर खोज रहे हैं। हम तो चाहेंगे कि हम माननीय मंत्रियों के साथ चलने को तैयार हैं। जो तारीख आप लोग दे देंगे तब चल देंगे। छत्तीसगढ़ के कौन से जिले में फूडपार्क लगा है? इनके घोषणापत्र में जो कहा गया है।
माननीय अमरजीत भगत जी, चंद्रखुरी के लिए यहाँ मुड़ते हैं , उसके नेशनल हाईवे में वहां पर गौठान बना हुआ है। उसकी क्या हालत है,आप जरा उसे देखकर आइएगा। नेशनल हाईवे में है, मैं अंदर गांव की बात नहीं करूंगा।
माननीय उपाध्यक्ष महोदय,पूरा देश बड़ा आश्चर्यचकित है कि छत्तीसगढ़ का किसान टमाटर लेकर के जाता है, पैसा लेकर आता है लेकिन छत्तीसगढ़ के लोगों को नहीं मालूम है। कहां टमाटर बिक रहा है, कहाँ फूडपार्क लगा है। छत्तीसगढ़ के विधायकों, मंत्रियों को नहीं मालूम है, हम लोगों को भी नहीं मालूम है।अरे भैया सरकार में बैठे हुए वरिष्ठ लोगों को नहीं मालूम।
आज बड़ी-बड़ी बातें , बड़े-बड़े अपने नेताओं तक को गुमराह कर रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर के नेता जो पूरे देश में अपनी सरकारों का गुणगान करते हैं, कम से कम उनको तो गलत बातें नहीं बतानी चाहिए। छत्तीसगढ़ की जनता को भी अगर अपने नेता को जो गुमराह कर सकता है, उसको छत्तीसगढ़ की जनता के साथ विश्वासघात करने में उसको कोई फर्क नहीं पड़ता । आज छत्तीसगढ़ की जनता अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रही है।

छत्तीसगढ़ में कानून की स्थिति बद से बद्तर

माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पूरे छत्तीसगढ़ में कानून व्यवस्था की स्थिति बद से बद्तर हो रही है। पूरा छत्तीसगढ़ अपने आपको असुरक्षित महसूस कर रहा है। उत्तर प्रदेश और बिहार से भी ज्यादा खराब स्थिति कानून व्यवस्था की कहीं पर है तो छत्तीसगढ़ की है। आपको उत्तर प्रदेश की आबादी कितनी है मालूम है? छत्तीसगढ़ से 10 गुनी ज्यादा आबादी है। बिहार की आबादी छत्तीसगढ़ से 4 गुना ज्यादा है।उसके बाद भी सरकार आने के बाद 1 हजार से अधिक हत्या, 3500 से अधिक बलात्कार, 9000 से अधिक चोरी, 100 से अधिक डकैती, लूट-पाट के 800 से ज्यादा प्रकरण,आत्महत्या के 15,000 से ज्यादा प्रकरण, आगजनी के 500 से ज्यादा प्रकरण, बलवा के 1300 से ज्यादा प्रकरण हैं। यूपी और बिहार में नहीं है।ये नेशनल क्राइम ब्यूरो का आंकड़ा है।
अभी बताता हूँ । राज्यपाल जी से जो अभिभाषण पढ़वाये न, उसमें आधे आंकड़े 15 साल के थे। 4 लाख वन भूमि के पट्टे हमने दिये है और उन्होंने बता दिया कि अभी तक 4 लाख, 45 हजार पट्टे दे दिये। तो भैया 15 साल के कितने थे? आपके कितने हैं?जरा अलग से बताते। आधे आंकड़े पिछले 20 सालों के छत्तीसगढ़ बनने के बाद अभी तक के हैं। उन आंकड़ों को राज्यपाल जी से पढ़वा दिया। मेरे पास सरकार का जवाब है। विधानसभा का जवाब है। उस जवाब से मैं आंकड़े बोल रहा हूँ। मुझे मालूम है कि मैं मंत्री नहीं हूँ। आंकड़े आप लोग देते हैं। आप लोग जवाब देते हैं। आपके मंत्री जवाब देते हैं। उन आंकड़ों को हम उपयोग करते हैं।आंकड़े हम कोई आसमान से नहीं लाते हैं।
माननीय उपाध्यक्ष जी, आज हम महिला दिवस मना रहे हैं। माननीय मुख्यमंत्री जी ने भी कहा, हम भी प्रदेश की सभी महिलाओं को बाधाई देते हैं। परंतु हम भगवान से कामना करते हैं इस सरकार से नहीं कर सकते कि महिलाओं का जीवन सुरक्षित हो। हमारी लड़कियों की आबरू बची रहे।लड़कियो के साथ दुराचार न हो। क्या आंकड़े हैं, आपको बताऊं।2 साल में 2246 दुष्कर्म के मामले छत्तीसगढ़ मे हुए। यह तीसरे साल का नहीं है।यह क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट है। आप लोग भी रायपुर में रहते हो, रोज पेपर पढ़ते हो होंगे।रायपुर में क्या हो रहा है। चाकूबाजी की कितनी घटनाएं हो रही हैं, रोज गली-गली में चाकूबाजी हो रही है। सरकार की धमक होती है, पुलिस के जूते की धमक होती है, जब ठेके पर पोस्टिंग करोगे तो फिर वह पूछ हिलाने लगता है, वह काटता नहीं है। सरकार की धमक होनी चाहिए।अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हैं। सिटी कोतवाली के पास, पंडरी पुलिस थाने के पास, शादी-समारोह में भीड़ के बीच चाकू मारना,सीएम हाउस के सामने चाकू मारना रोज की घटना हो गई है।सरकार का कोई वजूद है या नहीं , कोई सरकार की बुलंदगी है या नहीं, कोई शासन-प्रशासन है या नहीं,कोई सुरक्षा के लोग हैं या नहीं। राजधानी में यह हालत हो रही है। कभी-कभी तो मुझे लगता है कि छत्तीसगढ़ धान का कटोरा नहीं , आजकल गांजे का कटोरा हो गया है, आजकल शराब का कटोरा हो गया है।

प्रदेश में नशे का कारोबार

माननीय उपाध्यक्ष जी,गली-गली में गांजा पकड़ा जा रहा है,ट्रकमें गांजा आ रहा है।मोहम्मद अकबर जी ने इस सदन में बैरियर लगाने के ऊपर में स्पष्टीकरण दिया था कि हम बैरियर क्यों लगा रहे हैं। अपराधियों को रोकेंगे, तस्करी रोकेंगे, अवैध व्यापार रोकेंगे। वह चेक पोस्ट वसूली का अड्डा बन गए हैं, वहाँ से जो पैसा देकर निकलता है, कूपन दिखा देता है, वह छत्तीसगढ़ को पार करके कहीं भी देश में जा सकता है। बैरियर क्यों बने हैं।हमारी सरकार ने बैरियर समाप्त कर दिए थे, आपने बैरियर खोले हैं।अभी दो दिन पहले एक नया काम और हुआ है। आपने तीन जिलों मे क्राइम ब्रांच बना दी। हमारी सरकार ने सभी क्राइम ब्रांचों को भंग कर दिया था। एक वसूली का नया काम हुआ है।
उपाध्यक्ष महोदय, अफीम,चरस, स्मैक, हीरोईन,डोडा, नशीली इंजेक्शन, नशीली सीरप, नशे की सामग्री छत्तीसगढ़ के नौजवानों का भविष्य बरबाद हो रहा है। छ्त्तीसगढ़ के स्कूलों में कॉलेजों में अफीम,चरस, स्मैक आसानी से मिल रही है।कभी छत्तीसगढ़ में हमने सोचा नहीं था कि पैसा कमाने की हवस, पैसा कमाने की भूख पूरे छत्तीसगढ़ के नौजवानों के भविष्य को बरबाद कर रही है। जरा सोचो, पैसा सब कुछ नहीं है, हमारे बच्चे हैं, हमारा परिवार है। जब हमारे बच्चे को ड्रग की आदत हो जाएगी,जब वह चरस लेने लगेगा, अफीम लेने लगेगा, वह स्मैक लेने लगेगा, वह छोटी-छोटी पुडिया खाने लगेगा तो हम उसका जीवन नहीं बचा पाएंगे। वह तो मरेगा,हम भी तड़प-तड़प कर मर जाएंगे। मैंने बहुत बार सूचना दी है।छोटे-छोटे बाजार लगते हैं।उन बाजारों में इसको बेचने बाले ढूंढते हैं। मैैंने विदेशों में देखा था।
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं इस सदन के सदस्यों को जगाना भी चाहता हूँ, मैं आम सी बात कर रहा हूँ।भगत जी, मैं हाथ जोड़कर निवेदन करता हूँ,मैं आपसे माफी भी मांगता हूँ,कि मैं जिस बात से कह रहा हूँ,आप उसे गंभीरता से लीजिए। मुझे मालूम है मेरे नजदीक के कुछ लोग हैं, जिनके बच्चे ये शुरू कर दिए हैं और आज उनके माँ-बाप परेशान हैं।उनको नशामुक्ति केन्द्र में ले जा रहे हैं,उनका ईलाज करवा रहे हैं।जब बच्चा ऐसी आदतों में पड़ जाते हैं,तो माँ-बाप के पैसों को बर्बाद कर देते हैं, माँ प्रेमवश चेक पर दस्तखत करके दे देती है,वे पूरा पैसों को ठिकाने लगा देते हैं, बाप को मालूम नहीं होता है। जिस दिन बात मालूम होती है,उस दिन उसके सामने फांसी लगाकर आत्महत्या करने के अलावा और कोई चारा नहीं बचता है। क्या हम पैसा कमाने के लिए छत्तीसगढ़ की पीढ़ी को बर्बाद करना चाहते हैं।

HNS24 NEWS

RELATED ARTICLES
LEAVE A COMMENT