November 25, 2024
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रायपुर : भाजयुमो द्वारा स्वामी विवेकानंद जी की 157वीं जयंती के अवसर पर 12 से 18 जनवरी तक पूरे देश में विवेकानंद सप्ताह मनाया गया। उसी के अंतर्गत भाजयुमो ने राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या  के नेतृत्व में पूरे भारत के आदिवासी युवाओं तक पहुंचने के लिए एक समर्पित कार्यक्रम की अवधारणा की जिसका उद्देश्य आदिवासी युवाओं को सरकार द्वारा संचालित विभिन्न कार्यक्रमों के प्रति जागरूक करना और उनकी जरूरतों और आकांक्षाओं को समझने के लिए उनके साथ व्यापक चर्चा का आयोजन करना है।
इस पहल के तहत आदिवासी क्षेत्रों में मूलभूत अधोसंरचना,शैक्षणिक सुविधाएँ,स्वास्थ्य, रोजगार, कानून व्यवस्था और उनकी सांस्कृतिक पहचान के संरक्षण के संबंध में चिंतन और विचार-विमर्श किया जा रहा है। राज्य स्तर पर विचार-विमर्श कर सुझाव एकत्र किए जा रहे हैं और उन्हें भाजयुमो के नीति अनुसंधान और प्रशिक्षण (पीआरटी) प्रभाग को भेजा जा रहा है। राष्ट्रीय पीआरटी टीम एक नीति पत्र लेकर आएगी जिसे विभिन्न हितधारकों के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या ने कहा कि, “यह मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई और लागू की गई विभिन्न योजनाओं के प्रभाव को और व्यापक करने का एक प्रयास है। इसके माध्यम से, हम देश के सुदूर आदिवासी जिलों के युवाओं तक सरकारी योजनाओं पर चर्चा करने और उनकी भविष्य की अपेक्षाओं को संकलित करने के लिए पहुंच रहे हैं। इस प्रकार के कार्यक्रम, शासन में सभी वर्गों की सहभागिता को सुनिश्चित करेंगे जिसमें भाजयुमो उत्प्रेरक की भूमिका निभाएगा।
कई राज्यों में इस कार्यक्रम की शुरुआत हो चुकी है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार और पुडुचेरी की राज्य पीआरटी टीमों द्वारा पहले ही आदिवासी युवाओं के विभिन्न समूहों से कई दौर की चर्चा की जा चुकी है जिसकी अच्छी प्रतिक्रिया आदिवासी युवाओं से मिल रही है। छत्तीसगढ़ के राज्य पीआरटी सह-प्रभारी नाज़िया खान ने कहा कि “जनधन, आयुष्मान भारत और स्वच्छ भारत जैसी नीतियों ने उन आदिवासी परिवारों के जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव लाए हैं जिनसे वे मिले थे लेकिन साथ ही बुनियादी ढांचागत सेवाएं मुहैया कराने में छत्तीसगढ़ की अनदेखी चिंताजनक है।
भाजयुमो के राष्ट्रीय पीआरटी प्रभारी, श्री वरुण झावेरी ने कहा कि, “ये चर्चा आदिवासी युवाओं की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को बेहतर ढंग से समझने के लिए आवश्यक कदम हैं। यह पहल कुछ राज्यों में शुरू हो गई है और अगले कुछ हफ्तों में, हम देश भर के आदिवासी जिलों में इसका विस्तार होते देखेंगे। यह एक बार किया जाने वाला आयोजन नहीं बल्कि निरंतर चर्चा की शुरुआत है ताकि हम आदिवासी युवाओं और सरकारी कार्यक्रमों के बीच एक सेतु के रूप में कार्य कर सकें। ”
आदिवासी युवाओं से चर्चा करने के बाद मध्य प्रदेश के पीआरटी प्रभारी  शुभम वर्मा ने कहा कि, “इस तरह के व्यापक कार्यक्रम की बहुत आवश्यकता थी क्योंकि इससे पता चलता है कि कैसे आदिवासियों की वास्तविक समस्याएं जगह-जगह बदलती रहती हैं। इससे जमीनी स्तर पर समस्याओं के समाधान के लिए अधिक सटीक नीतियां बनाने में मदद मिलेगी।”

HNS24 NEWS

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