November 22, 2024
  • 1:16 pm सभी जनप्रतिनिधियों और किसानों को सहकारिता से जोड़ा जाए – केदार कश्यप
  • 1:13 pm मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ सीमेंट ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा आयोजित दीपावली मिलन समारोह में हुए शामिल
  • 12:37 pm सुकमा जिले में आज सुबह सुरक्षाबलों ने एक बड़ी कार्रवाई में 10 नक्सलियों को मार गिराया
  • 6:28 am मुख्यमंत्री ने सपरिवार देखी ‘द साबरमती रिपोर्ट’ फिल्म
  • 7:40 pm सुरक्षा बल का हिस्सा बनकर होता है गर्व: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से बोली महिला कांस्टेबल

रायपुर। कोराेना में आ गले लग जा…. गीत गाने से लोगों को मना किया जा रहा है। कई बड़े और नामी गिरामी लोग इस बार कोरोना से संक्रमित होते जा रहे हैं। इसके विपरीत छत्तीसगढ़ में खेल खेला जा रहा है। यहां पर कृषि वि.वि. ने प्रथम वर्ष में प्रवेश लेने वालों को दिगभ्रमित कर नया खेल कर रहे हैं। शासकीय कॉलेजों की सीट काउंसलिंग के बहाने धन्ना सेठ लोगों को बेचने में लगे हैं। इस बार सेल्फ फायनेंस के नाम पर शासकीय कॉलेजों की करीबन 150 सीट इस श्रेणी में रखी गई। मामला उस समय प्रकाश में आया जब निचले क्रम के लोग मेरिट वालों से पहले इसके माध्यम से प्रवेश ले लिया। वैसे कुछ लोगों को लगा था इसके माध्यम से अच्दा फंड एकत्रित हो जाएगा, लेकिन इसका उल्टा हुआ। करीब 101 सीट खाली रह गई। अब काउंसलिंग कमेटी के हाथ पैर फुल गए। इस भरने पूरी काउंसलिंग होने के बाद फिर एक बार काउंसलिंग कराने का निर्णय लिया। इस बार ओपन काउंसलिंग में 12 वीे पास लोगों को सीधे बिना पीएटी क्लियर किए लेने का प्लान तैयार किया गया। सुनियोजित ढंग से मामला आगे बढ़ा लेकिन ओमिक्रान ने रोक दिया। अब मंत्री के चहेते से लेकर कई धन्ना सेठों के लोगों को उपकृत करने पिछले दरवाजे से प्रवेश होगा। प्रवेश पाने के लिए पहले से ही कई जुगाड़ लगा चुके लोगों को मौका मिलेगा। वैसे देखा जाए तो पिछले वर्षाें के दौरान हुए पारदर्शी प्रवेश प्रक्रिया को धूमिल करने का प्रयास इस बार किया गया है।

राज्य में नए शासकीय कॉलेज खोल दिए गए लेकिन वहां पर पढ़ाने वालों का टोटा है बीवी 5। मुख्यमंत्री के क्षेत्र मर्रा खुले कृषि विवि में पूरी सीट खाली है। सेल्फ फायनेंस की सीटों के बहाने 75 लाख के फंडिंग का जुगाड़ किया गया था जो मात्र 25 लाख में ही रूक गया। बाकि सीट में जाने कोई तैयार नहीं है। ऐसे में नए कॉलेजों में न तो कोई पढ़ाने वाला मिलेगा और नही पढ़ने वाला। सरकार ने कृषि में प्रवेश को डॉक्टर और इंजीनियरिंग की तरह प्रोफशन समझ लिया। यहां पर अखिल भारतीय परीक्षा होने के कारण उनकी नहीं चली तो कृषि में ही प्रश्योग किया जो पूरी तरह फेल हो गई। वैसे में सरकार के पास नरवा, गरूआ घुरवा बारी के अलावा कुछ नहीं रह गया। वहीं मंत्री से जुगाड़ कर प्रवेश करने वालों को सिर्फ इसलिए भुला दिया गया कि फंड का मामला है।

HNS24 NEWS

RELATED ARTICLES
LEAVE A COMMENT