November 22, 2024
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चित्रा पटेल : रायपुर : सिमगा तहसील के अंतर्गत ग्राम रिंगनी एवं केसदा में “मेमर्स एपीएल अपोलो टिप्स कंपनी” का कारनामा ग्राम पंचायत को धोखे में रखकर कारखाना डायवर्सन और बिना पर्यावरण स्वीकृति के सरकारी और निजी जमीनों के हरे पेड़ काट डाले। महीनों से आंदोलनरत ग्राम वासियों की ओर से प्रस्तुत जनहित याचिका में तथ्यात्मक सत्यापन के पश्चात माननीय उच्च न्यायालय ने याचिका में राज्य शासन राज्य पर्यावरण बोर्ड और एपीएल अपोलो कंपनी को नोटिस जारी किया है प्रकरण की अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद नियत की गई है। इस केस में आवेदक के तरफ का वकील वरुण शर्मा हैं।

(पर्यावरण स्वीकृति लिए बिना…अवैध फैक्ट्री निर्माण….मासूम ग्रामीणों को पुलिसिया बल से प्रताड़ित किया गया…जनहित याचिका में जवाब तलब)

तथ्यों की जांच की गई
इसके पूर्व हुई सुनवाई तिथि पर माननीय उच्च न्यायालय ने पहले पर्यावरण बोर्ड को तथ्यों का सत्यापन करने और तथ्य गलत पाए जाने पर याचिकाकर्ताओं पर जुर्माना लगाने की बात की थी, परंतु पर्यावरण बोर्ड के द्वारा प्रस्तुत शपथ पत्र में यह स्पष्ट हो गया कि केंद्र सरकार द्वारा जारी ईआईए (EIA) नोटिफिकेशन के अंतर्गत पर्यावरण स्वीकृति प्राप्त नहीं है और केवल राज्य पर्यावरण बोर्ड से जल प्रदूषण अधिनियम के अंतर्गत सहमति ली गई है। इस तरह याचिकाकर्ताओं के आरोप प्रथम दृष्टि में स्थापित हुए और कंपनी को बचाव में जवाब देना होगा निर्माण कार्य पर स्थगन आवेदन पर जवाब भी देना होगा जिस पर निर्णय अभी लंबित है।

फैक्ट्री संबंधित निर्माण आरंभ करने के पूर्व आवश्यक है लिखित स्वीकृति

केंद्र सरकार द्वारा पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 5 के अंतर्गत ईआईए नोटिफिकेशन जारी किया गया है जिसके अंतर्गत धातु कर्म संबंधित सभी उद्योगों पर नोटिफिकेशन के अंतर्गत फैक्ट्री का निर्माण कार्य आरंभ करने के पुरवा सहमति लेनी होगी होती है इस प्रकरण में यह पाया गया है कि कंपनी के द्वारा ईआईए नोटिफिकेशन के अंतर्गत आवेदन ही प्रस्तुत नहीं किया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने बिना पूर्व स्वीकृति निर्माण कार्य को अवैध मानकर करोड़ों का जुर्माना लगाया जा चुका है

सुप्रीम कोर्ट के द्वारा वर्ष 2020 के अलेंबिंक  फार्मा के निर्माण में यह आदेश दिया गया है कि यदि नोटिफिकेशन के अंतर्गत पूर्व स्वीकृति लिखा है तो फैक्ट्री लगाने के पश्चात स्वीकृति लेना अवैध है और पर्यावरण के प्रति गैर जिम्मेदारी से भरा कृत्य है

केंद्र सरकार ने भी छत्तीसगढ़ बोर्ड को पत्र लिखकर पूर्व स्वीकृति आवश्यक बताई है

याचिकाकर्ता चंद्रकांत यह दो कुमारी बाई वर्मा तिलक राम नायक वगैरह ने बताया कि यह जानकारी प्राप्त हुई है कि केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय ने 14 अगस्त 2019 को पत्र लिखकर प्रतिवादी छत्तीसगढ़ पर्यावरण बोर्ड को यह स्पष्ट किया है कि धातु कर्म संबंधित उद्योगों को पुरवा पर्यावरण स्वीकृति लेनी होगी एपीएल अपोलो कंपनी के द्वारा stainless-steel के पाइप व काइल इत्यादि की फैक्ट्री धातु कर्म उद्योग होने से पर्यावरण स्वीकृति अनिवार्य है जिसे लिए बिना किया जा रहा निर्माण अवैध है।

राज्य शासन के अधिकारियों की लापरवाही

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस मुद्दे को सभी सरकारी अधिकारियों के संज्ञान में कई बार लाया गया और कलेक्टर बलोदा बाजार के जनप्रतिनिधियों ने भी आग्रह किया की बिना अनुमति पर क्यों कटवा रहे हैं पर या अधिकारियों ने लापरवाही दिखाते हुए अवैध निर्माण होने दिया है जिसका जवाब माननीय उच्च न्यायालय को देना होगा।

मासूम ग्रामीणों को पुलिसिया बल से प्रताड़ित किया गया

याचिकाकर्ताओं का यह भी कहना है कि शांतिपूर्ण तरीके से विधिवत आंदोलन करने वाले मासूम ग्रामीणों को पुलिस के द्वारा बल प्रयोग करते हुए गिरफ्तार किया गया और प्रताड़ित किया गया जिसके कारण भी जनहित याचिका प्रस्तुत कर न्याय की मांग की गई है

HNS24 NEWS

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