भाजपा का सवाल : सिलगेर मामले की दंडाधिकारी जाँच की प्रक्रिया के दौरान कांग्रेस की जाँच कमेटी बनाने का औचित्य क्या है
HNS24 NEWS June 3, 2021 0 COMMENTSरायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने बस्तर संभाग के सिलगेर मामले को लेकर प्रदेश सरकार के रवैए पर ऐतराज़ जताते हुए जानना चाहा है कि मामले की दंडाधिकारी जाँच की प्रक्रिया के दौरान घटना के लगभग पखवाड़ेभर बाद कांग्रेस की जाँच कमेटी बनाए जाने का औचित्य क्या है? प्रदेश सरकार और कांग्रेस पर इस मामले में बदनीयती का परिचय देने का आरोप लगाते हुए साय ने कहा कि प्रदेश सरकार और कांग्रेस के लोग नक्सलियों के ख़िलाफ़ तो कुछ भी कहने से बच रहे हैं और वहाँ के आदिवासियों को नक्सली बताकर मारा जा रहा है। साय ने सिलगेर मामले में आदिवासियों को न्याय दिलाने की मांग की है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष साय ने कहा कि सिलगेर जा रही भाजपा की जाँच टीम को यह कहकर तर्रेम से वापस लौटाया गया कि आगे कंटेनमेंट ज़ोन है। लेकिन कांग्रेस की जाँच टीम को सिलगेर जाकर लोगों से चर्चा करने कहा गया है। साय ने सवाल किया कि प्रदेश सरकार भाजपा के जाँच दल को वापस लौटाकर सिलगेर मामले में किन तथ्यों को छिपाने की कोशिश कर रही है? ऐसी कौन-सी जानकारी है, जिसे जानने का अधिकार सिर्फ़ कांग्रेस की जाँच कमेटी को है, किसी अन्य को नहीं? आदिवासियों के लगातार विरोध को देखते हुए क्या आदिवासियों के तुष्टिकरण के लिए यह जाँच कमेटी बनाई गई है? साय ने यह भी पूछा है कि क्या अब उक्त क्षेत्र कंटेनमेंट ज़ोन नहीं रहा, या फिर कांग्रेस की जाँच टीम क्या वहाँ तफ़रीह करने के लिए जा रही है, जिसकी घोषणा तक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की तरफ से नहीं हुई है। सांसद दीपक बैज की अध्यक्षता में बनी इस कमेटी और सरकार की नीयत को लेकर उठ रहे सवालों पर प्रदेश सरकार को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। कांग्रेस विधायक चंदन कश्यप द्वारा प्रदेश सरकार पर लगाए गए आरोपों को गंभीर बताते हुए साय ने कहा कि अब तक तो आदिवासियों को नक्सली बताकर मारे की ख़बरें सामने आती रही हैं, लेकिन पहली बार सत्तारूढ़ दल के विधायक चंदन कश्यप ने अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ निर्दोष आदिवासियों को नक्सली बताकर मारे जाने का आरोप लगाकर प्रदेश सरकार और उसकी कार्यप्रणाली व नीयत पर सवाल खड़ा किया है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष साय ने कहा कि सिलगेर मामले में अंततः जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू को ही निर्णय लेना है तो फिर वे अभी चुप्पी साधे क्यों बैठे हैं? मुख्यमंत्री और गृह मंत्री घटनास्थल का दौरा क्यों नहीं कर रहे हैं? जिन्हें नक्सली बताकर आत्म-समर्पण कराया गया है, उसकी सूची पुलिस प्रशासन की ओर से जारी नहीं करके आत्म-समर्पण नीति के तहत उन्हें मिलने लाभ से वंचित क्यों रखा जा रहा है? आत्म-समर्पण करने वालों के हिस्से का लाभ आख़िर कहाँ जा रहा है? साय ने कहा कि दरअसल कांग्रेस नक्सलियों के मामले में दोहरे चरित्र का परिचय दे रही है और अपनी पुलिस के हाथों निर्दोष आदिवासियों की ज़िंदग़ी से खेलकर नक्सलियों से अपना दोस्ताना निभा रही है। साय ने पुलिस के ख़िलाफ़ जारी आदिवासियों के आंदोलन को नक्सलियों के जमावड़े का धरना-प्रदर्शन बताने को प्रदेश सरकार व कांग्रेस के दिमाग़ी दीवालिएपन की पराकाष्ठा बताते हुए साय ने कहा कि अब तक तो यह कभी नहीं सुना गया है कि नक्सलियों ने धरना-प्रदर्शन किया हो। एकबारगी प्रदेश सरकार के इस झूठ को मान भी लें तो प्रदेश सरकार बताए कि शाहीनबाग और अभी चल रहे किसान आंदोलन पर क्या सरकार ने गोली चलाई, जबकि महीनों तक देश की राजधानी इन आंदोलनों के कारण अस्त-व्यस्त रही।
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