रायपुर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 7 साल पूरे हुए इसको लेकर खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने कहा केंद्र के सरकार 7 साल की नीति फेल हुई।1
नोटबंदी- नोटबंदी के अविवेक पूर्ण निर्णय से देश की अर्धव्यवस्था चौपट।
2 जी0एस0टी0 – जी0एस0टी0 लगने से उद्योग धन्धे कल-कारखाने बंद हुए और बहुतायात संस्था में लोग बेरोजगार हुए जिससे देश की अर्थव्यवस्था में विपरीत असर पड़ा है।
3 निजीकरण को बढ़ावा – देने से सरकारी संस्थान नीलाम हो रही है एवं नौकरी का अवसर समाप्त हो रहा है बेरोजगारी बढ़ रही है। एयरपोर्ट, रेल्वे बैंक स्ण्प्ण्ब् – पोर्ट को निजी हाथों में देने से अवैध कारोबार बढ़ने एवं देश की सुरक्षा पर प्रतिकूल असर पड़ेगा, सीधी तौर पर सरकारी नियंत्रण समाप्त हो जाएगा।
4 देश की सीमा का सुरक्षा करने में नकाम साबित हुआ – चीन भारत के अंदर घुसकर कब्जा किया ये देखते रह गये। हमारा पडोसी देश नेपाल भी हमसे दुर चला गया। इस प्रकार इनका विदेश नीति भी असफल साबित हुई।
5 देश में महगाई बढ़ी – इन 7 वर्षो में सभी आवश्यक वस्तुओ के दर के बेताहासा वृ़द्धि हुई दैनिक आवश्यकता की वस्तु से लेकर डीजल पेट्रोल खाद्य सामग्री के दाम इन सात वर्षो में 1 से डेढ़ गुना बढ़ा है। इसके अनुपात में आम आदमी की आय नही बढी जिससे गरीबी बढ़ी।
6 किसानो के आय में दोगुना बढोतरी की बात झूठी साबित हुई – एक लाख करोड़ का किसानों के लिए राहत पैकेज का अता-पता नहीं देश की जी.डी.पी. में कृषि क्षेत्र का योगदान 30 फीसदी है, फिर भी केन्द्र सरकार ने वर्ष 2021-22 के बजट में खाद की सब्सिडी में 54,417 करोड़ की कटौती की है। भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सरकार में आने के पूर्व स्वामीनाथन कमेटी के रिर्पाट को लागू कर किसान की आय में दो गुना बढ़ोतरी करने की बात कही थी परन्तु सरकार मे आने के बाद उसके विपरीत तीन कृषि कानून लाकर किसानो के साथ धोखा किया जिससे किसान व्यथित है। किसानो को खालिस्तानी, आंतकवादी, मुनाफाखोर कहकर भा0जा0पा0 के लोगो ने अपमानित करने का काम किया है।
तीन कृषि कानून –
1. मण्डी व्यवस्था को समाप्त कर सहकारिता पर चोट
2. काटेंक्ट फार्मिग लाकर बड़े उद्योग घराने को कृषि क्षेत्र मे संरक्षण एवं छोटे किसान के गला घोटने का काम
3. आवश्यक वस्तु अधिनियम का अस्तित्व समाप्त कर जमाखोरी को बढ़ावा देने का काम किया है
7 राष्ट्रीय आपदा कोविड-19 कोरोना के संक्रमण को रोकने के सरकार नाकाम सिद्ध हुई – राहत, बचाव, उपचार जैसे आवश्यक कदम उठाने में सरकार असफल हुई जिस प्रकार से उŸारप्रदेश एवं बिहार के गंगा नदी में अनगिनत लाशे तैरती मिली एवं गंगा किनारे रेत में अनगिनत लाशे दफनाई गई। इससे भारत सरकार की बदनामी पूरे देश में ही नहीं पूरी दुनिया में हुई।
8 वैक्सीनेशन में भी सरकार की नीति अविवेकपूर्ण रही – देश के नागरिकों के लिए पर्याप्त वैक्सीन न होते हुए भी विदेशों में सप्लाई की गई यह देश की जनता के साथ सबसे बड़ा धोखा है। दूसरी ओर मोदी सरकार ने आपदा में भी अवसर ढूंढने का काम किया। वैक्सीन का व्यवसायीकरण (कार्मशियल) किया केन्द्र सरकार को वैक्सीन 150 रूपये में, राज्य सरकारों को वैक्सीन 300 से 400 रूपये में, निजी संस्था एवं अस्पतालों को 600 से 1200 रूपये में वैक्सीन देने की बात कह कर अपनी जन विरोधी मंशा को स्पष्ट कर दिया।
टीकाकरण राष्ट्रीय कार्यक्रम होता है। इससे पहले जितनी की सरकारें बनी पोलियो, चेचक, खसरा, का टीका अपने देश के नागरिकों को निःशुल्क लगाने का काम किया परन्तु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की सरकार अपने नागरिकों से राज्य सरकारों से टीकाकरण का पैसा वसूलकर सुपर-डुपर फेलुवर सरकार (मोस्ट फेलुवर गर्वमेंट) की छवि बनाई है।
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