November 22, 2024
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रायपुर। रावतपुरा सरकार यूनिवर्सिटी रायपुर द्वारा “सशक्त भारत का आधार: समर्थ महिला” को आधार मानते हुए अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस” (08 मार्च) मनाया गया. कार्यक्रम की शुरुआत यूनिवर्सिटी परिसर के आस्था मंच में प्रेरणास्रोत कुलाधिपति रविशंकर महाराज  के आशीर्वाद से, माँ सरस्वती के वंदन एवं पूजन से किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि  राज्यपाल छत्तीसगढ़ शासन सुश्री अनुसुइया उइके  के सारस्वत उपस्थिति में संपन्न हुईं. अति विशिष्ट अतिथियों में पद्मविभूषण तीजन बाई , सुप्रसिद्ध पंडवानी गायिका, पद्मश्री फुलबासन बाई यादव ,सामाजिक कार्यकर्त्ता,  अनीता योगेन्द्र शर्मा ,  विधायक, धरसींवा विधानसभा,  कविता बरुवा , महासचिव प्रदेश महिला कांग्रेस कमेटी छ.ग. एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में माननीय प्रति-कुलाधिपति  राजीव माथुर  की गरिमामयी उपस्थिति रही. कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. (डॉ.) राजेश कुमार पाठक जी ने की।
मुख्य अतिथि, राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उइके ने कहा कि जीवन की कला को अपने हाथों साकार कर नारी ने सभ्यता और संस्कृति का रूप निखारा है. नारी का अस्तित्व ही सुन्दर जीवन का आधार है। महिलाएं अबला नहीं बल्कि शक्ति स्वरूपा और स्वयं सिद्धा होती है. उनकी प्रतिभा को यदि सही अवसर उपलब्ध कराया जाए तो वो पुरुषों की तुलना में कहीं अधिक संवेदनशीलता और सामूहिक हित की भावना के साथ समाज का भला कर सकती है। आधी आबादी के तौर पर महिलाएं हमारे समाज -जीवन का एक मजबूत आधार है। महिलाओं के बिना इस दुनिया की कल्पना करना ही असंभव है। कई बार महिलाओं के साथ पेशेवर जिंदगी में भेदभाव होता है। घर-परिवार में भी कई दफा उन्हें समान हक और सम्मान नहीं मिल पाता है। फिर वे जूझती हैं। संघर्ष करती हैं और इस दुनिया को खूबसूरत बनाने में उनका ही सर्वाधिक योगदान है। उन्होंने कहा कि ‘सशक्त महिला, सशक्त समाज’ देश के विकास में दोनों ही एक-दूसरे के पूरक हैं। देश में महिलाओं का सशक्तिकरण होना आज की महती आवश्यकता है। महिला सशक्तिकरण यानी महिलाओं की आध्यात्मिक, राजनीतिक, सामाजिक या आर्थिक शक्ति में वृद्धि करना। भारत में महिलाएं शिक्षा, राजनीति, मीडिया, कला व संस्कृति, सेवा क्षेत्रों, विज्ञान व प्रौद्योगिकी आदि के क्षेत्र में भागीदारी कर रही हैं। राज्यपाल जी ने अपने जीवन संघर्षों की चर्चा करते हुए महिला संघर्षों को रेखांकित करती कविता, मंजिल मिले न मिले, उसका मुझे गम नहीं, मंजिल की जूस्तजू में मेरा कारवां तो है, सुनाया। अति विशिष्ट अतिथि पद्मविभूषण तीजन बाई जी ने कहा कि मां, बहन, बेटी, पत्नी, सखी, प्रेमिका, शिक्षिका हर रूप में करुणा, दया, सरंक्षण, परवाह, सादगी की अपार शक्ति है नारी, जिसने अंधेरों में सिमटी ना जाने कितनी जिंदगियों को योद्धा बनाया है। मेरी नजर से देखें तो मुझे आप में दिखाई देता है समर्पण, समर्पण प्यार का, समर्पण दुलार का, समर्पण सेवा का, इनके समर्पण भाव से सृष्टि भी तृप्त है। हम आभारी हैं, कर्जदार हैं, आपके समर्पण के, दुलार के, प्यार के। आज नारी शक्ति का दिन है। स्वयं को पहचान कर और नमन कर आगे बढ़ती चलो, ठोकर मारो उसे जो सम्मान ना करें। नागरिक, समाज और सिस्टम के तौर पर एक जिम्मेदारी हमारी बनती है कि इनके संघर्षपूर्ण जीवन को और कठिन न बनाएं। समाज की नींव और जीवन का रूप नारी की प्रतिभा को सम्मान और सुरक्षा दें। अति विशिष्ट अतिथि पद्मश्री फुलबासन बाई यादव ने अपने संबोधन में सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज महिलाओं को अधिकार और महत्व देने का दिन है। महिलाओं की सुरक्षा, कल्याण एवं सुरक्षित मातृत्व को लेकर अनेकों योजनाएं तैयार की जाती हैं। इस दिशा में कई संस्थाएं कार्यरत हैं, परंतु सफलता तभी मिलेगी जब हर महिला अपने अधिकारों के प्रति सजग होकर पहला कदम खुद बढ़ाए। भारत में महिलाओं से संबंधित अनेक मुद्दे जीवित हैं और अनेक पैदा हो रहे हैं। भारतीय महिलाओं की स्थिति पर ध्यान दें तो दो असंतुलित चित्र सामने आते हैं। एक तरफ महिलाएं अपनी मेधाशक्ति, मेहनत और दृढ़ संकल्प के बल पर धरातल से आसमान तक की ऊंचाइयों को छू कर अपनी प्रवीणता अर्जित कर रही हैं तथा देश को गौरवान्वित कर देश की प्रतिष्ठा दुनिया में बढ़ा रही हैं। यह एक गौरवान्वित चित्र है। दूसरा चित्र चिंतित और सोचने पर मजबूर कर देता है। जहां ना वह जन्म से पहले सुरक्षित है, ना जन्म के बाद। आजकल महिलाओं के साथ अभद्रता हो रही है। रोज ही अखबारों और न्यूज़ चैनलों में पढ़ते हुए देखते हैं कि महिलाओं के साथ छेड़छाड़, सामूहिक बलात्कार की घटनाएं हो रही हैं। ऐसी घटनाओं को सुनकर दिल और दिमाग दोनों कौंध जाते हैं, माथा शर्म से झुक जाता है और दिल दर्द से भर जाता है। महिलाएं पूरे देश में असुरक्षित हैं।
विशिष्ट अतिथि प्रति-कुलाधिपति,श्री राजीव माथुर ने कहा अमेरिका में सोशलिस्ट पार्टी के आह्वान पर वूमेन्स डे मनाने का प्रस्ताव रखा गया. पहली बार 28 फरवरी 1909 में इस दिवस को मनाया गया. जिसके बाद सन् 1910 में सोशलिस्ट इंटरनेशनल के एक सम्मेलन में इसे अन्तर्राष्ट्रीय दर्जा देने की बात कही गयी. हालांकि, उस समय इस दिवस का मकसद कुछ और था. दरअसल, उस समय महिलाओं को वोट देने का अधिकार नहीं था. इसी परंपरा को समाप्त करने के लिए इस तिथि की शुरूआत हुई. सन् 1917 में सोवियत संघ ने इस दिवस पर राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया। जिसे आज पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप ममें मनाया जा रहा है। कुलपति, प्रो. (डॉ.) राजेश कुमार पाठक ने कहा कि हम सभी एक संपूर्ण विश्व का हिस्सा हैं. हमारे व्यक्तिगत काम, संवाद, बर्ताव और सोच का हमारे समाज पर व्यापक असर पड़ता है. इसीलिए हम सब मिलकर एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं. मिल-जुल कर हम सभी एक लैंगिक रूप से समान दुनिया की रचना कर सकते हैं। आज के दिन हम सब, महिलाओं व पुरुषों के बीच असमानता पूर्णतया समाप्त करने का सामूहिक संकल्प लें। कार्यक्रम में यूनिवर्सिटी के शोध जर्नल “शोध मंथन” का विमोचन माननीय मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों द्वारा किया गया। मुख्य अतिथि माननीय राज्यपाल एवं विशिष्ट अतिथियों द्वारा महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय भूमिका का निर्वहन करने वाली-सुश्री भारती जांगड़े,  अनम खान, बबिता किशोर बघेल,  दमयंती सोनी,  आंचल मतलाम,  तरुणी सारथी,  प्रेरणा पाठक,  पार्वती मंडावी,  राधा नाग,  मंगतीन नेताम, प्रो. स्वर्णलता सराफ, डॉ. दीपशिखा अग्रवाल आदि को शाल एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

उक्त कार्यक्रम अधिष्ठाता कला संकाय प्रो. (डॉ.) शोभना झा के संयोजन में आयोजित किया गया। कार्यक्रम का संचालन अधिष्ठाता, छात्र कल्याण डॉ. कप्तान सिंह एवं अंग्रेजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मनीष वर्मा द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। आभार प्रदर्शन यूनिवर्सिटी के कुलसचिव वरुण गंजीर द्वारा किया गया । इस अवसर पर अधिष्ठाता, अकादमिक प्रो. (डॉ.)  प्राचार्य,शिक्षा अध्ययन संस्थान, (डॉ,) संजीत साहू, नर्सिंग अध्ययन संस्थान के विद्यार्थियों, अधिकारीयों-कर्मचारियों सहित यूनिवर्सिटी परिवार के प्राध्यापकों, अधिकारीयों-कर्मचारियों ,विद्यार्थियों एवं गणमान्य नागरिकों की बड़ी संख्या में उपस्थिति थे।

HNS24 NEWS

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