NHMMI हस्तिपटल की एक और उपलब्धि..13साल की बच्ची जिसका हृदय मुड़ा हुआ था..चेस्ट में थी विकृति का हुआ सफल आपरेशन
HNS24 NEWS February 13, 2021 0 COMMENTSचित्रा पटेल : रायपुर : राजधानी रायपुर में स्थित एनएचएमएमआई (NHMMI)की एक और उपलब्धि , NHMMI हॉस्पिटल टीम ने उड़ीसा से आई13साल के बच्ची जो 7वीं क्लास में पढ़ती है का वजन 20केजी का था, जिसको खेलने कूदने साइकिल चलाने में सांस लेने में दिक्कत होती थी जिसका हृदय भी उल्टा था का सफल इलाज हुआ और अब पूर्ण थीऔर मरीज का कोई पैसा भी नहीं लगा।
HMMI हॉस्पिटल की बड़ी उपलब्धि
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुमन ने बताया की NH MMI हॉस्पिटल के टीम उड़ीसा में पेरीफेरल कैंप लगाया था जहां पर 13 वर्षीय बच्ची मिली जिसका वजन 20 केजी था, उसे कुछ वर्षों से दौड़ने खेलने साइकिल चलाने में सांस लेने में तकलीफ होती थी, जिसकी जांच पर पाया कि उसकी रीढ़ की हड्डी भी ऊपर से और दाएं की ओर मुड़ी हुई थी, उसकी छाती के आकार में भी विकृति आ गई थी, यानी कि वह बच्ची को काईफो- स्कोलियोसिस था।
बाल्य हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर किंजल बक्शी और हृदय रोग विशेषज्ञ सुमन शेखर पाड़ी द्वारा जांच कर इलाज किया गया।
एन एच एम एम आई के डॉक्टर किंजल बक्शी ने बताया की बच्ची के हृदय नस सिर्फ एक छोटा सा चैनल नजर आया और यह अंदेशा लगाया गया कि नश सीधे हृदय के दाएं हिस्से में रक्त नहीं निकाल रही बल्कि एक दूसरी नस में खुल रही है जो शरीर के ऊपरी हिस्से के रक्त को हृदय तक पहुंचा रही है पीडीए को डिवाइस थेरेपी के जरिए बंद करने के लिए इस नस की अहम भूमिका होती है क्योंकि यही सही तरीका है और यह एक मुख्य रास्ता के हृदय के भीतर डिवाइस के साथ पहुंचने का।
इस नस में एक दुर्लभ प्रकार की विकृति थी जिसमें यह नस का एक दूसरा प्रकार नजर आ रहा था जो बहुत जगह से मुड़ा हुआ था जिसकी वजह से रुकावट की स्थिति बन रही थी साथ ही यह सीधे हिर्दय के दाएं हिस्से में नहीं खोल रही थी, जिसकी वजह से कोई तरीका नहीं रह गया था कि पीडीए इस रास्ते से ही जा सके यह पहली चुनौती थी डॉक्टरों के लिए। डॉक्टरों ने गर्दन की एक नस जिसे राइट इंटरनल जगलर वेन कहते हैं के जरिए हृदय तक पहुंचे।
डॉक्टरों के लिए चुनौती भरी स्थिति
एन एच एम एम आई के डायरेक्टर डॉ नवीन शर्मा और डॉक्टर सुमंत शेखर डॉक्टर किंजल बक्शी के लिए चुनौती भरा समय था। उन्होंने कहां बच्ची की रेलवे में इतने गंभीर भी करती थी छाती के अंग भी अपने सामान्य स्थान पर नहीं थे यहां तक की हृदय भी घुमा हुआ था। वजह रिस्क लेते हुए यहां जटिल विकृति को सफल बनाने में कामयाबी हासिल की।
हृदय रोग विशेषज्ञ NHMMI के डॉक्टर सुमन शेखर ने बताया कि सामान्य तौर पर हम लाइनस से होते हुए पीडीए के जरिए हृदय तक पहुंचते हैं लेकिन हृदय के घूमे हुए होने के कारण यह संभव नहीं था इसलिए डॉक्टरों ने स्प्रेरिंग तकनीक के जरिए पीडीए के विपरीत हिस्से से एक रास्ता तैयार किया। यह सर्जरी एक बड़े जोखिम का प्रोसीजर था। वाहिका को डिवाइस थेरेपी के जरिए बंद किया। खासकर इस तरह के मामले में जहां इंटरनल जगलर वेन के जरिए प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाता है। बेहद सावधानी और इतने बड़े ट्यूब को संभालने के लिए अनुभव की जरूरत होती है। कार्डियक एनेस्थीसिया की टीम के साथ मिलकर वाल्व हृदय रोग की टीम ने बिना किसी जटिलता के पूरा प्रोसीजर सफलतापूर्वक किया गया।
उड़ीसा हेल्थ स्कीम के जरिए हुआ पूरा इलाज(OSTF)
एन एच एम एम आई के डायरेक्टर डॉ नवीन शर्मा ने कहा कि रायपुर जैसे शहर में ऐसी ह्रदय सल्य प्रक्रिया दुर्लभ है हमारे हृदय रोग की टीम एनएच प्रतिष्ठा को बरकरार रखती है। जहां नारायणा हेल्थ कि ह्रदय रोग के आईकॉन के तौर पर देखा जाता है वही हमारी हृदय रोग की टीम भी हमेशा ऐसे ही पेचीदा केशेष के लिए तैयार रहती है। डायरेक्टर ने बताया कि मरीज से एक पैसा की खर्च नहीं हुई पूरी खर्च उड़ीसा सरकार की हेल्थ स्कीम के जरिए इलाज किया गया,और ऐसा ही हेल्थ स्कीम छत्तीसगढ़ में भी छत्तीसगढ़ सरकार भी लागू करें ऐसा हमारी उम्मीद है।
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