रोका-छेका, व गौठान में -गायों के मौत का मामला बृजमोहन ने विधानसभा में उठाया…. सरकार पर लगाये तीखे आरोपरोका
HNS24 NEWS August 27, 2020 0 COMMENTSरायपुर : दिनांक 27 अगस्त, भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने प्रदेश के गोठानो में गायों की मौत का मामला ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से उठाते हूए कहा कि सरकार ने 19 जून को कलेक्टरों को क्या पत्र लिखा है व निर्देश दिया है रोका छेका के लिए जो, गायो के मौत का मैं कहूंगा हत्या का कारण बन रहा है। रोका छेका के आदेश के कारण सरपंच गायो को अंधेरे कमरे में बंद कर रहे है। गंदगी में बंद कर रहे है। आप इससे पाप के भागीदार बनेंगे। कृषि मंत्री को कहा कि आपके इस आदेश के कारण गायों की मौत हो रही है। उन्होंने गायों के मालिको को मुआवजा देने की मांग भी की।
अग्रवाल ने कहा कि जब रोका छेका पुरानी व्यवस्था है तो आप श्रेय क्यों ले रहे है। जो व्यवस्था पुरानी थी उस पर सर्कुलर जारी कर गायो के मौत का साधन बना दिया है। छत्तीसगढ़ में रोका छेका, गोठान के कारण 1000 से ज्यादा गायों की मौत हुई है। रोका छेका, गौठान को मजाक बना दिया है। वहाँ चारा नही है जब तक चारे की व्यवस्था नही करेंगे कहाँ से गोठान में गाये पलेगी।
आपके रोका-छेका में रोकने वाली गायों, गौठानों की गायों के चारे के लिए गौ सेवा आयोग की 25 रूपये की व्यवस्था है, उसको आप क्यों नही दे देते। उसको 50 रूपये करने का निर्णय हुआ था, उसको आप लागू क्यों नहीं कर दे देते? अगर हम सच्चे गौमाता के भक्त, सेवक हैं तो हमको उसके बारे में पर्याप्त व्यवस्था करनी चाहिए। हमारे आधे से ज्यादा गौठान डिफंग पड़े हुए हैं। हमारी रोका छेका योजना गावों की स्वतंत्र व्यवस्था थी। हमारे निर्देश के कारण गायों को गंदे कमरे में, छोटे-छोटे कमरों में जबरदस्ती बंद किया जा रहा है और उसके कारण गायों की मौत होगी तो हम उसको गौहत्या नहीं कहेंगे तो और क्या कहेंगे? हम चाहेंगे कि सरकार की तरफ से यह आना चाहिए था कि रोका-छेका के तहत गायों को रोकने के लिए उन गायों की हम क्या व्यवस्था करेंगे? गौठानों की गायों के चारे की हम क्या व्यवस्था करेंगे? मैं यह मानता हूँ कि आपकी बुरी नीयत नहीं है। परन्तु आपके निर्देशो को पालन करने के लिए अधिकारी जिस तत्परता से काम करते हैं, उसमें वह सावधानी नहीं रखते, उन असावधानियों के कारण इन गायों की मौत हो रही है, इसको आपको रोकना चाहिए। गायों की मौत क्यों हो रही है, गौठानों की समितियों में आपने ऐसे लोगों को रखा है, जिनकी गौमाता के प्रति कोई भी लगाव नहीं है, एक पैसे का लगाव नहीं है। आपने सरपंचों के प्रतिनिधि को नही रखा, प्रभारी मंत्री ने दबाव डालकर अपने लोगों को रख दिया, विधायकों के प्रतिनिधि को नहीं रखा गौमाता के प्रति प्रेम नहीं है।
अग्रवाल ने अपने ध्यानाकर्षण में कहा कि ‘रोका-छेका’ फ्लेगशीप प्रोग्राम के चलते प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरों के सख्त निर्देश एवं धमकी के कारण गांव-गांव में मवेशियों को खुले में चरने पर रोक लगा दी गई है। सभी सरपंचों ने रोका-छेका के तहत ऐसे मवेशियों को किसी भवन/जगह में अवरूद्ध करने के निर्देश दिये गये, जिसके भयावह परिणाम हुए है। इसी के चलते 25 जुलाई 2020 को बिलासपुर जिले के तखतपुर के ‘मेड़पार’ गांव में 50 से अधिक गायों की हत्या एक ही रात में हो गई। सरपंच ने इन गायों को रोका-छेका के तहत पुराने एवं जर्जर भवन में ठंूस-ठूंस कर रख दिया था। गायों को ऐसा भरा गया था कि वहां एक आदमी के खड़े होने लायक जगह नहीं थी। भवन के दरवाजे एवं खिड़कियों को बंद कर दिया गया था। गायों के लिए ‘चारा’ की व्यवस्था तो दूर पानी पीने की व्यवस्था नहीं थी। गायों को किसी कसाई खाने से भी बत्तर हालत में रखा गया था। अचरज की बात तो ये है कि ऐसा कृत्य प्रदेश के लगभग सभी ग्रामों में हो रहा है। प्रदेश के 20 हजार से अधिक गांवो में से मात्र 2500 गांवो में ही आधे-अधुरे, सुविधा विहीन गोठानों की व्यवस्था की गई है। ऐसे ही बिलासपुर नगर निगम के मोपका स्थित गौठान में जुलाई माह में 200 मवेशियों को कीचड़ सने गौठान मंे रखा गया, जहां चारा एवं पानी की व्यवस्था भी नहीं है, जिसके चलते वहां पर 7 से अधिक गायों की मौत हुई। यही हाल रायगढ़ शहर के भीतर स्थित 02 गौठानो का है, यहाँ पशुओं को रखने की कोई व्यवस्था नहीं है, बिना चारा एवं पानी के उन्हें भूखा मारा जा रहा है। बलौदाबाजार जिले में भी अव्यवस्थाओं चलते गौठान में गायों की मौत हो गई। जिला कलेक्टर्स ने मुख्यमंत्री के निर्देश को आंख पालन करने के निर्देश गांव-गांव में दिये है। इन बातों को ध्यान में ही नही रखा कि कितने गांवो में गायों एवं अन्य मवेशियों को रखे जाने की व्यवस्था है ? सरकार ने रोका-छेका गोठान की जिम्मेदारी पंचायतों को सौंपकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली है। पंचायतों के लिए न तो इन कामों के लिए समुचित व्यव्स्था की गई और न ही राशि उपलब्ध कराई गई है। इससे प्रदेश के सभी 20 हजार से अधिक गांवों मे गौ-पालको के मन में राज्य सरकार के खिलाफ भारी रोष एवं आक्रोश व्याप्त है।
श्री अग्रवाल ने कहा कि माननीय मंत्री जी आप व्यवस्था सुधारिए। आपके निर्देशो के कारण कितने सरपंच मरेंगे, छोटे-छोटे अधिकारी मरेंगे। आपके निर्देशों का पालन करने के कारण इसलिए आपको व्यवस्था सुधारने की जरूरत है, आप इस व्यवस्था को सुधारें और जहां तक हमारे सरकार के समय की बात है तो वह निजी लोगों के गौशालाओं में मृत्यु हुई थी, आज आपके तो सरकारी निर्देश के कारण मृत्यु हो रही है इसलिए मैं इसको गौहत्या कह रहा हूँ।
श्री अग्रवाल ने कहा कि वहां 50 से ज्यादा जानवरों की मृत्यु हुई है, गायों की मृत्यु हुई है और उन किसानों की रोजी-रोटी वही थी, और वह सरकार के निर्देशों के कारण हुई है तो आप किसी योजना में नहीं तो कम से कम मुख्यमंत्री सहायता कोष से उन किसानो को राशि दे दें। मंत्री सहायता कोष में दे दें। गौसेवा आयोग में पैंसा है, उसमें से पैसा दे दें।
ध्यानाकर्षण के जवाब में पशुपालन मंत्री रविन्द्र चैबे ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य में फसल बुवाई कार्य के पूर्व कर रहे पशुओं कंे नियंत्रण हेतु रोका छेका प्रथा प्रचलित है जिससे फसल बुवाई को बढ़ावा देने तथा पशुओं के चरने से फसल को होने वाले हानि से बचाने के लिए पशुपालक तथा ग्रामवासियों द्वारा पशुओं के बांधकर रखने अथवा पहटिया की व्यवस्था इत्यादि कार्य किया जाता है। उक्त प्रयास से न ही कृषक शीघ्र बोवाई कार्य पूर्ण कर पाते है, अपितु द्वितीय फसल लेने के लिये भी पे्ररित होते हैं। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा समस्त जिला कलेक्टर को यहा निर्देश दिये गये थे कि दिनांक 19.06.2020 को रोका छेका कार्यक्रम आयोजित कर ग्राम स्तर पर बैठक आयोजित कर ग्राम सरपंच, पंच जनप्रतिनिधि तथा ग्रामीण रोका-छेका प्रथा अनुसार पशुओं को बांध कर रखने, पशुओं के नियंत्रण से फसल बचाव की शपथ दिलाई जावे। गौठानों में पशुओं के प्रबंधन, रख रखाव की उचित व्यवस्था हेतु गौठान प्रबंधन समिति की बैठक आयोजित की जावे। पहटिया/चरवाहे की व्यवस्था से पशुओं का गौठानों में व्यवस्थापन सुनिश्चित करावें। खुले में विचरण कर रहे पशुओं का नियंत्रण व गौठानों में संधारण करावे। गौठानों में पशु चिकित्सा एवं स्वास्थ्य शिविर का आयोजन करावे। वर्षा के मौसम में गौठनों में पशुओं के सुरक्षा हेतु व्यापक प्रबंधन किया जावे।
मंत्री ने कहा कि बिलासपुर जिला विकासखण्ड तखतपुर के ग्राम मेड़पार गांव में कुल 45 मवेशियों की मृत्यु हुई है। उक्त ग्राम में ग्रामीणों द्वारा मेड़पार बाजार केे आवारा पशुओं को पुराने पंचायत भवन में दिनांक 24.07.2020 को रख जाकर दिनांक 25.07.2020 को जंगल में छोड़ जाने के उद्देश्य से रखा गया था, ताकि खड़ी फसलों को नुकसान से बचाया जा सके। पशुओं को रखे गये कमरे का आकार छोटा होने एवं पशुओं की संख्या अधिक होने से पशुओं के सींग आदि से कमरो का खिड़की दरवाजा बंद होने तथा पशुओं के गोबर व मूत्र विसर्जन करने से उत्पन्न होने वाले गैस के कारण दम घुटने से पशुओं की मृत्यु हुई। उक्त घटना के लिए अज्ञात व्यक्तियों के नाम पर थाना हिर्री, जिला बिलासपुर में प्राथमिक सूचना रिपोर्ट 0110 दिनांक 25.07.2020 दर्ज हुई है, जिसकी विवेचना जारी है।
प्रदेश में कुल 5826 गौठान स्वीकृत हुए है जिसमें से 3149 गौठान निर्मित हो चुके हैं, जिसमें आवश्यक मूलभूत सुविधाएं प्रदाय की गई। इन गौठानों में औसतन 4.35 लाख पशु प्रतिदिन आते हैं। जिनको मूलभूत एवं पशु चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है। गौठानों में पैरादान से प्राप्त धान पैरा अथवा गौठान के पास विकसित चारागाह से उत्पादित हरे चारे को काटकर पशुओं को खिलाया जाता है। साथ ही गौठानों में प्राकृतिक रूप से उगे घास/झाड़ियों को गौठानों में आने वाले पशुओं को चराया जाता है। बिलासपुर नगर निगम के मोपका स्थिति गौठान में जुलाई से केवल 02 कमजोर एवं वृद्ध गायों की मृत्यु हुई है। उक्त गौठान में पशु शेड में पानी व चारे के कोटने निर्मित हैं। पशुओं के विचरण हेतु सुरक्षित खुले क्षेत्र में वर्षा से बहकर मिट्टी आने से कीचड़ हुआ है, जिसका उपयोग प्रतिबंधित है।
रायगढ़ में सड़को पर विचरण करने वाले पशुओं को ट्रांसपोर्ट नगर के पास निर्मित कांजी हाउस को अस्थायी तौर पर गौठान के रूप में संचालित किया जा रहा है, जिसमें पशुओं को रखा गया है, जहां पर पशुओं हेतु चारा पानी आदि समुचित व्यवस्था की गई है। गौठान निर्माण के लिये निगम क्षेत्र में 4-5 कि.मी. दूर स्थित ग्राम सम्बलपुर में जमीन का चिन्हांकन किया गया है। बलौदाबाजार जिले के गौठानों में गायों की मौत की कोई सूचना नहीं है।
शासन द्वारा रोका-छेका कार्यक्रम के तहत् ग्राम वासियों को किसी भी प्रकार का दबाव नहीं डाला गया है। शासन द्वारा गौठान संचालन की जिम्मेदारी गौठान प्रबंधन समिति को दी गयी है। इस हेतु गौठान प्रबंधन समिति को अनुदान के रूप में प्रतिमाह राशि 10,000/- दिये जाने का प्रावधान किया गया है। अतः प्रदेश के गौपालकों के मन में राज्य सरकार के प्रति रोष एवं आक्रोष व्याप्त नहीं है।
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