नरवा-गरवा-घुरूवा-बाड़ी सरकार की फ्लैगशिप योजना, क्रियान्वयन में लापरवाही हुई तो होगी सख्त कार्रवाई : सुब्रत साहू
HNS24 NEWS December 4, 2019 0 COMMENTSरायपुर : दिनांक 04 दिसंबर को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव सुब्रत साहू ने आज पाटन ब्लॉक के ग्राम अमलीडीह तथा ढौर स्थित मॉडल गौठान का निरीक्षण किया। साथ ही उन्होंने जनपद पंचायत सभागार में अधिकारियों की बैठक भी ली। बैठक में उन्होंने कहा कि मैंने अभी अमलीडीह और ढौर में गौठान की व्यवस्था देखी। यहां पर मवेशियों के लिए अच्छी व्यवस्था की गई है। अगले कुछ दिनों में सभी स्वीकृत गौठान को फंक्शनल करने की दिशा में युद्धस्तर पर कार्य करें। सभी गौठान की व्यवस्था के लिए नियुक्त नोडल अधिकारी नियमित मॉनिटरिंग करें। इस संबंध में किसी भी तरह से लापरवाही आने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। निरीक्षण के दौरान एवं बैठक में दुर्ग कलेक्टर अंकित आनंद एवं जिला पंचायत सीईओ कुंदन कुमार भी उपस्थित थे।
आउट ऑफ बॉक्स आइडिया पर करें काम, अलग-अलग तरह की रोजगारमूलक गतिविधि सभी गौठान में कराए़ं आरम्भ
साहू ने कहा कि गौठान में वर्मी कम्पोस्ट आदि के उत्पादन के साथ ही स्वसहायता समूहों के लिए अन्य गतिविधि भी आरम्भ करें। उदाहरण के लिए अमलीडीह गौठान के बारे में उन्होंने कहा कि यहां की डबरी का गहरीकरण कर मछलीपालन या बतख पालन कर सकते हैं। दुर्ग कलेक्टर अंकित आनंद ने कहा कि अपने गौठान के नजदीकी परिवेश की जरूरतों के मुताबिक आजीविकामूलक गतिविधि आरम्भ करें। इसके लिए बाजार का चिन्हांकन भी कर लें।
रिज टू वैली कांसेप्ट पर करें काम, जल संरक्षण सबसे अहम
साहू ने कहा कि नरवा योजना की सफलता के लिए जगह का चिन्हांकन और इसके बाद तकनीकी बारीकियों का ध्यान रखना आवश्यक है। प्रोजेक्ट से न्यूनतम लागत में अधिकतम लोगों का लाभ हो। इन्होंने कहा कि इस योजना में जल के एक एक बूंद का संरक्षण अहम है। प्रोजेक्ट के लिए इसरो मैप जैसे टेक्निकल डिटेल के साथ ही गांव के बुजुर्ग लोगों का अनुभव भी उठाएं। पुराने लोगों को प्राकृतिक ड्रेनेज सिस्टम की अच्छी जानकारी होती है। उनके अनुभवों का भी लाभ लें। साहू ने कहा कि स्थानीय साधनों से न्यूनतम लागत में ऐसे स्ट्रक्चर बनाये जा सकते हैं जो टिकाऊ हों और जिनसे भूमिगत जल के रिचार्ज की अहम जरूरत पूरी हो।
गुलमर्ग के उदाहरण से समझाई बात पर
साहू ने कहा कि जलसंरक्षण के लिए पानी की गति कम होना जरूरी है और यहीं पर नरवा का कांसेप्ट आता है। छोटे-छोटे स्ट्रक्चर बनाकर जिनके लिए संसाधन बहुत न्यूनतम लागत में प्राकृतिक परिवेश से ही लाये जा सकते हैं के माध्यम से पानी के वेग को थामा जा सकता है। उन्होंने अपनी गुलमर्ग यात्रा का उदाहरण दिया। उन्होंने बताया कि श्रीनगर से गुलमर्ग जाने के जाने के दौरान उनके ड्राइवर ने एक झरने का उदाहरण दिखाया। वहां पर एक स्थानीय पशु ने झरने के बिल्कुल निकट अपने बच्चों के रहने का स्ट्रक्चर बनाया था। आसपास की झाड़ियों के माध्यम से झरने की स्पीड कम हो गई थी। उन्होंने कहा कि इस तरह प्रकृति कितना कुछ सीखाती है। हम न्यूनतम लागत और संसाधन के साथ उपयोगी स्ट्रक्चर बना सकते हैं।
ग्रामीण सहभागिता जरूरी
बैठक में साहू ने कहा कि गौठान के बेहतर विकास के लिए ग्रामीणों की सहभागिता बहुत आवश्यक हैं। इनसे नियमित चर्चा कर गौठान के कार्यों के संबंध में सुझाव लें। मुख्यमंत्री के ओएसडी श्री आशीष वर्मा ने भी कहा कि ग्रामीणों की सहभागिता से गौठान का कार्य काफी बेहतर तरीके से चलाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि गौठान गांव वालों के विकास के लिए हैं और उनसे निरंतर फीडबैक लेकर, सुझाव लेकर और उनका सहयोग लेकर इसे बहुत अच्छे से संचालित किया जा सकता है।
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