November 22, 2024
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भरत दुर्गम : बीजापुर : बीजापुर जिले के दर्शनीय स्थलों को विकसित करने प्रकृति प्रेमियों के अलावा बुद्धिजीवी वर्ग भी जोर दे रहे हैं, ताकि पर्यटन के क्षेत्र में बीजापुर को पहचान मिल सके। इसी तारतम्य में बीजापुर के कुछ प्रकृति प्रेमियों और बुद्धिजीवियों ने दर्शनीय बीजापुर के नाम से पहल शुरू की है। 22 सदस्यों का यह व्हाट्स ग्रुप बीजापुर के तमाम दर्शनीय स्थलों को प्रचारित करने के मकसद से तैयार किया गया है। दर्षनीय बीजापुर नाम से पहल की शुरूआत और गु्रप एडमिन मो. इकबाल खान है, जो पेशे से शिक्षक है, इसके अलावा कवियित्री एवं शिक्षिका पुनम विश्वकर्मा की प्रमुख भूमिका है, इनके अलावा पत्रकार गणेश मिश्रा, राजेश जैन, चेतन कापेवार , रंजन दास, विहान दुर्गम, बस्तर पर केन्द्रित साहित्य रचनाओं के चर्चित राजीव रंजन प्रसाद, बीएसपी कर्मी इष्वर पटेल आदि शामिल है। गत दिनों गु्रप में सम्मिलित सदस्यों में चर्चा हुई, जिसमें निर्णय लिया गया कि बीजापुर को पर्यटन के क्षेत्र के ख्याति दिलाने स्थानीय प्रशासन, पर्यटन और पुरातत्व विभाग के अलावा स्थानीय जनप्रतिनिधियों, जानकारों का सहयोग व मार्गदर्शन लिया जाएगा। क्षेत्रीय विधायक विक्रम शाह मंडावी ने दर्षनीय बीजापुर कांस्पेट की प्रषंसा की है। क्षेत्र में पर्यटन स्थलों के विकास और पर्यटन उद्योग स्थापना के लिए हर संभव मदद का भरोसा भी उन्होंने दिया है। कवियत्री पुनम का कहना है कि जष्पुर जैसे क्षेत्र में पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देने व वहां की सांस्कृतिक विरासत को सहेजने तथा जन-जन तक आदिवासियों की समृद्ध ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को दुनिया के सामने अजर-अमर करने हेतु सराहनीय कदम उठाया गया है, जो कि बेहद प्रेरणादायक है इस तरह के प्रयासों से से निश्चित रूप से स्थानीय कलाकारों की कला स्थानीय लोगों की संस्कृति , उनका रहन-सहन, उनके देवी-देवता, तीज त्योहार, उनका वैभव भरा इतिहास, तथा उनकी अपनी मातृ भूमि के प्रति लगाव व उनकी भावनात्मक विचारधारा से पूरी दुनिया रूबरू हो पाएंगी। आदिवासी टूरिस्ट विलेज को नए रूप में विश्व के सामने रखना भविष्य में सकारात्मक परिणाम आने की गारंटी है, इसलिए जषपुर की तर्ज पर बीजापुर में भी टूरिज्म को बढ़ावा देने के प्रयास होनो चाहिए। पत्रकार राजेश जैन का कहना है कि जिस तरह सीमांत राज्य तेलंगाना में कुदरती स्थलों के अलावा कृत्रिम निर्माण से पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा, इसी तर्ज पर बीजापुर में काम होने चाहिए। सुरक्षा के साथ-साथ पहुंच संभव वाले इलाकों तक सड़कों, ठहरने का इंतजाम हो तो पर्यटक निश्चित ही पहुंचेंगे। चूंकि बीजापुर की पहचान नक्सल समस्याग्रस्त जिले के रूप में है, इसलिए अब समय आ गया है कि हम कुदरती धरोहर के बूते इसकी पहचान बदलें और पर्यटन पटल पर बीजापुर को पहचान दिलाए।

HNS24 NEWS

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