बीजेपी ही नहीं बल्कि कांग्रेस के कुछ विधायक भी धर्मांतरण को रोकने को लेकर कार्य कर रहे हैं : RSS
HNS24 NEWS March 26, 2025 0 COMMENTS
रायपुर: अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के संदर्भ में छत्तीसगढ़ प्रांत की प्रेस वार्ता। RSS के 100 साल पूरे हो रहे हैं इस अवसर पर घर घर जाएंगे RSS दल और प्रदेश में कई कार्यक्रम आयोजित होंगे।राष्ट भाव का जागरण करेंगे,सामाजिक सद्भाव जागृत करेंगे,एक परिवर्तन आए,स्व के आधार पर निर्माण होगा।महारानी अबक्का के कार्य को याद किया rss ने।
आरएसएस ( RSS) ने कहा धर्ममंतरण को लेकर सभी राजनीतिक दाल रोकने के लिए कार्य कर रहे हैं। बीजेपी ही नहीं बल्कि कांग्रेस के कुछ विधायक भी धर्मांतरण को रोकने को लेकर कार्य कर रहे हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा 2025 का आयोजन 21 मार्च 2025 से 23 मार्च 2025 (युगाब्द 5126, फाल्गुन कृष्ण सप्तमी अष्टमी नवमी) तक बैंगलुरु के चन्नेनहल्लि स्थित जन सेवा विद्या केंद्र में किया गया. अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का आयोजन प्रति वर्ष होता है. संघ की रचना में निर्णय की दृष्टि से यह संघ की सबसे महत्वपूर्ण बैठक है. बैठक के प्रारम्भ में संघ के माननीय सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने गत वर्ष संघ कार्य का वार्षिक प्रतिवेदन (रिपोर्ट) प्रस्तुत किया इसके बाद प्रत्येक प्रांत के कार्यकर्ताओं द्वारा गतिविधियों एवं कार्यक्रमों की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई. इस वर्ष संघ स्थापना के 100 वर्ष हो रहे हैं. इसलिए अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के दौरान संघ कार्य के विस्तार पर विचार-विमर्श किया गया. विजयादशमी 2025 से विजयादशमी 2026 तक शताब्दी वर्ष के रूप मे मनाया जाएगा. इसके लिए व्यापक जनसंपर्क की योजना बनी है. इसमें सभी क्षेत्र के लोग सम्मिलित होंगे. अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक के दौरान पंच परिवर्तन (सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण जागरूकता, स्वत्व पर जोर, नागरिक कर्तव्य) पर विशेष चर्चा-चिंतन किया गया.
तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के दौरान एक प्रस्ताव भी पारित किया गया। यह प्रस्ताव बांग्लादेश में हिन्दुओं व अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों पर उत्पन्न परिस्थिति और भविष्य के प्रयासों पर केंद्रित रहा. इस प्रस्ताव की एक प्रति संलग्न है।
संघ शताब्दी वर्ष
इस वर्ष विजयादशमी के दिन संघ के 100 वर्ष पूरे हो रहे हैं. जैसा कि पहले बताया जा चुका है, आने वाला वर्ष संघ कार्य के विस्तार तथा सुदृढ़ीकरण पर केंद्रित होगा. संघ का उद्देश्य इस उपलब्धि का उत्सव मनाना नहीं है, बल्कि 1). आत्मचिंतन करना, 2). संघ कार्य के लिए समाज द्वारा दिए समर्थन के लिए आभार प्रकट करना तथा 3). राष्ट्र के लिए तथा समाज को संगठित करने के लिए स्वयं को पुनः समर्पित करना है. उन्होंने कहा कि शताब्दी वर्ष में हम अधिक सावधानी, गुणवत्ता तथा व्यापकता से कार्य करने का संकल्प लेते हैं. विजयादशमी के दिन से संघ शताब्दी के दौरान विशिष्ट गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करेगा।
1. शताब्दी वर्ष की शुरुआत विजयादशमी 2025 के अवसर पर होगी, जिसमें गणवेश (संघ गणवेश) में स्वयंसेवकों के मंडल, खंड/नगर स्तर के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
2. 2. नवंबर 2025 से जनवरी 2028 तक तीन तक बड़े पैमाने पर घर-घर संपर्क
3. सभी मंडलों और बस्तियों में हिन्दू सम्मेलनजिकिए जाएंगे, जिसमें बिना किसी भेदभाव के प्रत्येक के जीवन में एकता और सदमा राष्ट्र के विकास में सभी का योगदान और पंच परिवर्तन में प्रत्येक व्यक्ति की भागीदारी, संदेश दिया जाएगा।
4. खंड/नगर स्तर पर सामाजिक सद्भाव बैट आयेजित की जाएंगी, जिसमें एक साथ मिलकर रहने पर बल दिया जाएगा।
5. जिला स्तर पर प्रमुख नागरिक संवाद आयोजित किए जाएंगे। इन कार्यक्रमों में राष्ट्रीय विषयों पर सही विमर्श स्थापित करने और आज प्रचलित गलत विमर्श को दूर करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
6. युवाओं के लिए विशेष कार्यक्रम प्रांतों द्वारा आयेजित किए जाएंगे। 15 से 30 वर्ष की आयु के युवाओं के लिए राष्ट्र निर्माण, सेवा गतिविधियों और पंच परिवर्तन पर केंद्रित कार्यक्रम किए जाएंगे।
पिछले 100 वर्ष में संघ की यात्रा के संदर्भ में संघ ने एक संकल्प भी शताब्दी वर्ष के दौरान लिया है। जिसकी प्रति आप सब लोगों को उपलब्ध कराई गई है।
स्वतंत्रता सेनानी महारानी अबक्का के जन्म की 500वीं वर्षगांठ पर वक्तव्य
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के दौरान माननीय सरकार्यवाह जी ने अप्रतिम महिला स्वतंत्रता सेनानी महारानी अबक्का के जन्म की 500वीं वर्षगांठ के अवसर पर जारी वक्तव्य के बारे में बताया. उनकी 500वीं जयंती पर, सरकार्यवाह जी ने महारानी अब्बका को श्रद्धांजलि दी, उन्हें भारत की महान महिला स्वतंत्रता सेनानी, एक कुशल प्रशासक और निडर योद्धा बताया. रानी अबका ने पुर्तगालियों के खिलाफ छोटे से राज्य उल्लाल (दक्षिण कन्नड़, कर्नाटक) की वीरता से रक्षा की।
लोकमाता अहिल्या देवी होल्कर त्रिशताब्दी जंयती समारोह
लोकमाता अहिल्यादेवी होल्कर त्रिशताब्दी जंयती समारोह छत्तीसगढ़ प्रान्त के सभी जिलों के विद्यालयों महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों, स्वसहायता समूह, युवाओं, मातृशक्ति तथा प्रबुद्ध जनों के बीच आयोजित किए गए. इस दौरान व्याख्यान, निबंध, चित्रकला एवं रंगोली प्रतियोगिता आयोजित की गई. प्रान्त स्तर पर 24 प्रबुद्ध लोगो (कुलपति, प्राध्यापक, शिक्षक, सज्जनशक्ति, मातृशक्ति तथा सन्तो) की आयोजन समिति बनाई गई तत्पश्चात् इसी प्रकार सभी 34 जिलों की आयोजन समिति बनाई गई. विभाग स्तर पर दो सत्रों में कार्यशाला आयोजित किया गया. लोकमाता अहिल्या देवी पर एक साहित्य एवं एक कामिक्स प्रकाशित किया गया।
रायपुर विभाग में ही ऐसे उपक्रम चलाने वाली शाखाओं की संख्या 61 है. छत्तीसगढ़ में सेवा उपक्रमशील शाखा (जो साल में न्यूनतम दो सेवा उपक्रम अवश्य करती हो) रायपुर में ऐसी शाखाओं की संख्या 54 है, जबकि रायगढ़ में 82 व दुर्ग में 17 है. छत्तीसगढ़ में सेवा भारती द्वारा ही 99 सेवा प्रकल्प संचालित किए जा रहे हैं. इनमें रायपुर, बिलासपुर, कोरबा, अंबिकापुर, दुर्ग, राजनांदगांव, जगदलपुर में संचालित मातृछाया प्रमुख है. यहां ऐसे बच्चों को आश्रय दिया जाता है, जिनके माता-पिता नहीं है या जिन्हें परित्यक्त कर दिया गया है. इन बच्चों के भोजन, कपड़े, आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा व मनोरंजन की उत्कृष्ट व्यवस्था मातृछाया में समाज के सहयोग से प्रदान की जाती है. इसके साथ ही 7 अलग-अलग स्थानों पर कन्या छात्रावास तथा 2 स्थान पर आश्रय गृह संचालित किए जा रहे हैं. छत्तीसगढ़ प्रांत में 59 संस्कार केंद्र भी संचालित हो रहे हैं. इन संस्कार केंद्रों में बच्चों को स्वच्छता, श्रेष्ठ आचरण, राष्ट्र भक्ति, भोजन मंत्र के साथ सामूहिकता आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है. सेवा भारती द्वारा प्रांत में 11 किशोरी विकास केंद्र भी संचालित हो रहे हैं. इसी तरह अंग्रेजी माध्यम स्कूल, सिलाई केंद्र, कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र, स्वास्थ्य पैथलैब एवं पॉलीक्लिनिक का संचालन भी अलग-अलग स्थान पर हो रहा है. शाखा द्वारा दैनिक व साप्ताहिक स्थाई सेवा कार्य संचालित किए जाते हैं.
पर्यावरण गतिविधि
महाकुंभ प्रयागराज को हरित कुंभ की दृष्टि से एक थैला एक थाली अभियान चलाया गया था जिसमें पूरे छत्तीसगढ़ प्रांत से 66,160 थैले और थालियां समाज के सहयोग से प्राप्त हुए, जिसमें गतिविधि के ‘जन जन में कुंभ घर घर में कुंभ और कुंभ में कुंभ’ का उद्देश्य पूर्ण होगा. राष्ट्रीय छात्र पर्यावरण प्रतियोगिता जो पहली से स्नातकोत्तर तक चार स्तरों पर आयोजित की गई. जिसमें प्रदेश के 31856 प्रतिभागि सम्मिलित हुएस आगामी समय मे प्रांत के धार्मिक आयोजनो को पॉलिथीन मुक्त करने की योजना है.
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा 2025 जनसेवा विद्या केंद्र, चन्नहल्लि
बांग्लादेश के हिंदू समाज के साथ पकजुटता से खड़े रहने का आहवान
अखिल भारतीय प्रतिनिधिसभा देश में हिंदू और अन्य अभ्यसंकटारीकरीता लगातार हो है। निजित हिंसा, अन्याय और उत्पीडन पर गहरी चिंता व्यक्त करती है।ष्टाधिकार हननाम्भीर विषय
देश में वर्तमान सता पमट के समय मठ-मंदिरों पूजा पंडा और शिक्षण संस्थान पर आम मूर्तिकार नृशंस हत्याएँ संपति की महिलाओं के अपहरण और अत्याचार, बलात् मतांतरण जैसी अनेक घटनालगत सामने आ रही हैं। इन घटनाओं को राजनीतिक बताकर इनके मजहबी पक्ष को नकारना सबसे मुंह मोड़ने जैसा होगा क्योंकि अधिकतर पीडित हिंद और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों से ही हैं।
सांगादेश में हिंदू समाज, विशेष रूप से अनुसूचित जाति तथा जनजाति समाज का इस्लामी कट्टरपंथी तत्वीद्वारा उत्पीडन कोई नई बात नहीं है। बांग्लादेश में हिन्दुओं की निरंतर घटती जनसंख्या (1951 में 22 प्रतिशत से वर्तमान में 7.95 प्रतिशत) दर्शाती है कि उनके सामने अस्तित्व का शंक्ट है। विशेषकर पिछले वर्ष की हिंसा और घृणा को जिस तरह सरकारी और संस्थागत समर्थन मिला, यह गंभीर चिंता का विषय है। साथ ही, बांग्लादेश से लगातार हो रहे भारत विरोधी वक्तव्य दोनों देशों के सम्बन्धों की गहरी हानि पहुँचा समते हैं।
कुछ अंतरराष्ट्रीय शक्तियाँ जानबूझकर भारत के पढ़ीसी क्षेत्रों में अविश्वास और टकराव का वातावरण बनाते हुए एका देश को दूसरे को विरुद्ध खड़ा कर अस्थिरता फैलाने का प्रयास कर रही हैं। प्रतिनिधि समा, चिंतनशील वर्गी और अंतरराष्ट्रीय मामर्जी से जुड़े विशेषज्ञों से अनुरोध करती है कि वे भारत विरोधी वातावरण, पाकिस्तान तथा ‘डीप स्टेट’ की सक्रियता पर दृष्टि रखें और इन्हें उजागर करें। प्रतिनिधि सभा इस तथ्य को रेखांकित करना चाहती है कि इस सारे क्षेत्र की एक साँड़ी संस्कृति, इतिहास एवं सामाजिक संबंध हैं जिसके चलते एक जगह हुई कोई भी उथल-पुथल सारे क्षेत्र में अपना प्रभाव उत्पन्न करती है। प्रतिनिधि सभा का मानना है कि सभी जागरूक लोग भारत और पड़ोसी देशी की इस साँझी विरासत की दृढ़ता देने की दिशा में प्रयास करें।
यह उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश के हिन्दू समाज ने इन अत्याचारों का शांतिपूर्ण, संगठित और लोकतांत्रिक पद्धति से साहसपूर्वक विरोध किया है। यह भी प्रशंसनीय है कि भारत और विश्वभर के हिंदू समाज ने उन्हें नैतिक और भावनात्मक समर्थन दिया है। भारत सहित शेष विश्व के अनेक हिंदू संगठनों ने इस हिंसा के विरुद्ध आंदोलन एवं प्रदर्शन किए हैं और बांग्लादेशी हिंदुओं की सुरक्षा व सम्मान की माँग की है। इसके साथ ही विश्व भर के अनेवा नेताओं ने भी इस विषय को अपने स्तर पर उठाया है।
भारत सरकार ने बांग्लादेश के हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के साथ खड़े रहने और उनकी सुरक्षा की आवश्यकता को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताई है। उसने यह विषय बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के साथ-साथ कई अंतरराष्ट्रीय मंचौ पर भी उठाया है। प्रतिनिधि सभा भारत सरकार से अनुरोध करती है कि वह बांग्लादेश के हिंदू समाज की सुरक्षा, गरिमा और सहज स्थिति सुनिश्चित करने के लिए वहाँ की सरकार से निरतंर संवाद बनाए रखने के साथ साथ हर सम्भव प्रयास जारी रखे।
प्रतिनिधि सभा का मत है कि संयुक्त राष्ट्रसंघ जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों व वैश्विक समुदाय को बांग्लादेश में हिन्दू तथा अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार का गंभीरता से संज्ञान लेना चाहिए और बांग्लादेश सरकार पर इन हिंसक गतिविधियों को रोकने का दबाव बनाना चाहिए। प्रतिनिधि सभा हिन्दू समुदाय एवं अन्यान्य देशों के नेताओं से तथा अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं से आहवान करती है कि वे बांग्लादेशी हिंदू तथा अन्य अल्पसंख्यक समाज के समर्थन में जुट होकर अपनी आवाज।
*राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा बेंगलुरु 2025 में हुई बैठक राष्ट्र साधना के 100 साल पूर्ण*
विजयादशमी के शुभ अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राष्ट्र के प्रति अपनी एकनिष्ठ साधना के 100 वर्ष पूर्ण करने जा रहा है। उपहास, उपेक्षा और विरोध की बाधाओं को पार करते हुए संघ को इस पड़ाव तक पहुंचाने के लिए जीवन समर्पित करने वाले स्वयंसेवक और उनके परिवार तथा समाज की सज्जन-शक्ति कृतज्ञता की पात्र है।
प्राचीन काल से ही हिंदू समाज मानव एकता और विश्व कल्याण के महान उद्देश्य की पर्ति के लिए एक प्रदीर्घ और अविस्मरणीय यात्रा में रत रहा है। तेजस्वी मातम्शक्ति सहित संतों, धर्माचार्यों, तथा षों के आशीर्वाद एवं कर्तत्व के कारण हमारा राष्ट्र कई प्रकार के उतार-चढ़ावों के उपरांत भी महापुरुषों निरंतर आगे बढ़ता जा जा रहा है।
काल के प्रवाह में हमारे राष्ट्रीय जीवन में आए दोषों को दूर रूप में भारत के परम वैभव हेतु 1925 में डॉक्टर दूर कर एक संगठित और सामर्थ्यवान राष्ट्र के की स्थापना की थी। इस लक्ष्य की पूर्ति हेतु दैनिक शाखा के रूप में व्यक्ति निर्माण की एक अनूठी कार्यपद्धति विकसित की गई। दूसरे शब्दों में, संघ ने व्यक्ति-निर्माण के के कार्य को हमारी सनातन परंपराओं व मूल्यों के परिप्रेक्ष्य में देश में देश के पुनर्निर्माण के एक निःस्वार्थ तप के रूप में अंगीकार किया है। डॉ हेडगेवार के जीवनकाल में ही इस कार्य में ही इस कार्य का एक राष्ट्रव्यापी स्वरूप विकसित हो गया था। श्री गुरुजी (मा. स. गोलवलकर) के दूरदर्शी नेतृत्व से राष्ट्रजीवन के शाश्वत चिंतन के प्रकाश में युगानुकुल रचनाओं का निर्माण हुआ।
100 वर्ष की इस यात्रा में संघ ने हिंदू समाज का अटूट विश्वास, सेह और अपनत्व प्राप्त किया है। इस पवित्र यात्रा में संघ के स्वयंसेवकों ने प्रेम और आत्मीयता के बल पर मान-अपमान और राग-द्वेष से ऊपर उठ कर सबको साथ लेकर चलने का प्रयास किया है।
यह उल्लेखनीय है कि अपनी प्राचीन संस्कृति और समृद्ध परंपराओं के चलते सौहार्दपूर्ण विश्व का निर्माण करने के लिए भारत के पास अनुभवजनित ज्ञान उपलब्ध है। हमारा चिंतन विभेदकारी और आत्मघाती प्रवृत्तियों से मनुष्य को सुरक्षित रखते हुए सभी में एकत्व की भावना तथा शांति सुनिश्चित करता है। अतः संपूर्ण विश्व को अनुभव कराना भारत का दायित्व है कि एकात्म और समग्र दृष्टि ही सुरक्षा, समृद्धि, कल्याण और शांति का आधार है।
दैनिक शाखा द्वारा संस्कारित स्वयंसेवकों ने समाज माज के समक्ष उपस्थित चुनौतियों का समाधान खोजते हुए राष्ट्र-निर्माण की प्रक्रिया में महती भूमिका निभाई है। सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण, कुटुंच प्रबोधन, स्व भाव जागरण, और नागरिक कर्तव्य जैसे पंच परिवर्तन के कार्य से से हिंदू समाज में आत्मविश्वास का अद्भुत संचार हो रहा है।
संघ की यह यात्रा कोई नई पहल नहीं है, अपितु अनादि काल से चल रहे हिंदू समाज के जीवन उद्देश्य की पूर्ति के प्रयासों की ही काल-सुसंगत वर्तमान कड़ी है। हिंदू समाज ने इस दिव्य यात्रा को असीम आत्मविश्वास, अटूट प्रतिबद्धता और समाज की प्रचंड शक्ति के आधार पर ही आगे ले जाना चाहिए. केवल तभी हम अपने वैश्विक दायित्व का प्रभावी रूप से निर्वहन कर सकेंगे।
अखिल भारत्तीय प्रतिनिधि सभा समाज के सभी वर्गों से अनुरोध करती है कि विश्व गुरु के रूप में संपूर्ण मानवता का मार्गदर्शन करने की अपनी भूमिका को निभाने हेतु भारत पुनः सशक्त और श्रेष्ठ बनाने के लिए एकत्र आकर प्रयास करें।
*भारत की महान महिला स्वतंत्रता सेनानी महारानी अबक्का के जन्म की 500 वीं वर्षगांठ के अवसर पर सरकारी वह दत्तात्रेय होसवाले का प्रवक्तव्य*
भारत की महान महिला स्वतंत्रता सेनानी उल्लाल महारानी अवका एक कुशल प्रशासक, अजेय रणनीतिकार और महापराक्रमी शासक थी। उन्होंने उल्लाल संस्थान, दक्षिण कड (कर्नाटक) पर सफलतापूर्वक शासन किया था। उनके जन्म की 500वीं वर्षगांठ पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उनकी अजेय विरासत को हृदय से विनम्र श्रद्धासुमन अर्पण करता है।
उस समय विश्व की अजेय माने जाने वाली शक्तियों में से एक पुर्तगाली आक्रमणकारियों को उन्होंने अपने शासनकाल बार बार परास्त किया था और अपने राज्य की स्वतंत्रता बनाये रखीं। अपनी कूटनीतिक निपुणता तथा उत्तर केरल के राजा सामुद्री (जमोरिन) जैसे शासकों से किये सामरिक संधि के चलते उन्हें यह सफलता बनाये रखना सम्भव हुआ । उनकी रणनीति, शौर्य और निर्भीक नेतृत्व के चलते उन्हें इतिहास के पृष्ठों में “अभयारानी” यह संज्ञा प्राप्त हुई।
महारानी अबक्का ने भारत की सर्व समावेशी परंपरा का निर्वाह करते हुए कई शिव मंदिरों व तीर्थ स्थलों का भी विकास किया था। उन्होंने अपने शासनकाल में सभी मतावलंबियों को समान रूप से सम्मान और समाज के सभी वर्गों का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित किया था किया था। इसी कारण उनकी सद्भावना व एकता की विरासत कर्नाटक में यक्षगान, लोकगीतों व लोक नृत्य द्वारा उनके प्रेरणादायक प्रसंगों के माध्यम से आज भी गूँज रही है।
भारत सरकार ने महारानी अबक्का के अप्रतिम शौर्य, देश और धर्म के प्रति समर्पण व कुशल प्रशासन को सम्मान देते हुए 2003 में उनके नाम पर एक डाक टिकट जारी कर उनकी जीवनी को संपूर्ण देश के जनमानस में प्रसारित किया था। एक विजयी जल सेना का संचालन करने की क्षमता से प्रेरणा लेने के लिए ही 2009 में एक गश्ती पोत का नामकरण रानी अबका के नाम पर किया गया था।
महारानी अवक्का का जीवन संपूर्ण देश के नागरिकों के लिए अत्यंत प्रेरणादायक है। उनके जन्म की 500 वीं जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस आदर्श व्यक्तित्व को श्रद्धासुमन अर्पित करता है तथा संपूर्ण समाज का आह्वान करता है कि उनके तेजस्वी जीवन से प्रेरणा लें और राष्ट्र निर्माण के महान कार्य में अपना प्रभावी योगदान दें।
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R.O.No: 13129/135

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